दामोदर नदी में मकर संक्रांति के अवसर पर हजारों भक्तों ने आस्था की डुबकी लगाई, आदिवासी समाज ने मनाया टुसु पर्व
सनातन धर्म में मकर संक्रांति के पर्व का विशेष महत्त्व है, इस बार मकर संक्रांति पर विशेष संयोग बन रहे हैं, जिससे इस पर्व की महत्ता और बढ़ जाती है। सूर्य जब अपने पुत्र की राशि मकर में प्रवेश करते हैं। उस दिन संक्रांति का उत्सव मनाया जाता है, इस बार सूर्य 14 जनवरी को 8 बजकर 14 मिनट पर प्रवेश करने वाले हैं, सूर्य के मकर में आते ही खरमास भी समाप्त हो जाएगा और फिर से मांगलिक कार्य शुरू हो जाएँगे। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर पाँच ग्रहों का संयोग बनेगा, जिसमें सूर्य, बुध, गुरु, चंद्रमा और शनि भी शामिल रहेंगे।
इस विशेष संयोग में पवित्र नदी गंगा में स्नान करने का विशेष महत्त्व है,ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और अक्षय पुण्य का फल प्राप्त होता है,साथ ही गंगा स्नान करने से जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और देवी-देवता एकसाथ प्रसन्न हो जाते हैं, आइए जानते हैं मकर संक्रांति के दिन गंगा सन्नान करने का क्या महत्त्व है।
मकर संक्रांति के अवसर पर दामोदर नदी के मोहलबनी घाट स्थित मुक्ति धाम घाट और लालबंगला छठ घाट पर हजारों श्रध्दालुओ ने लगाई आस्था की डुबकी। गुरुवार को श्रध्दालुओ की भीड़ उमड़ी लोगों ने अपने समर्थ के अनुसार दान पुण्य किया। सुबह से ही लोगों का भीड़ मेले में जुटने लगी महिलाओं व बच्चों की भीड़ ने बड़ी संख्या में मेले का खूब आंनद उठाया। शान्ति व्यवस्था को बनाये रखने को लेकर सुदामडीह थाना प्रभारी ओर भौरा पुलिस के जवान मौजूद थे।
मकर संक्रांति के अवसर पर आदिवासी समाज टुसु पर्व का आयोजन किया जाता है
झारखंड में आदिवासी समाज में मकर संक्रांति के अवसर पर टुसु पर्व का आयोजन किया जाता है। जोड़ापोखर, डुमरी ,पेटिया बस्ती,जहाज टाँड, मोहलबनी आदि में यह त्यौहार धूमधाम से मनाया गया। ज्यादातर ये पर्व बुन्डु, तमार और झारखंड की राइदीह क्षेत्र के बीच के क्षेत्र में ये पर्व देखा जाता है। ये पर्व भारत की आजादी के आंदोलन के दौरान इस क्षेत्र में एक महान इतिहास देखा गया है। टुसु पौष माह के अंतिम दिन में सर्दियों के दौरान आयोजित एक फसल कटाई का त्यौहार है। यह अविवाहित लड़कियों के लिए भी है। लड़कियों एक लकड़ी या बांस के फ्रेम को रंग कर कागज के साथ लपेट कर अच्छे से सजा कर उपहार की तरह बनाते है और पास के नदी या तलाव में विसर्जन कर देते है।
इस पर्व के बारे में स्थानीय बताते है कि कुवारी लड़कियों को इस टुसु पर्व का बेसबरी से इंतजार रहता है। इस पर्व में बहने अपने भाई की लंबी आयु के लिये प्रर्थना करती है। नीचे डूंगरी में पर्व के इंतजार में पन्द्रह दिनों पूर्व से ही तैयारी में लोग जुटे थे। जिसका बड़े ही धूमधाम के साथ झूमर नृत्य के साथ दामोदर नदी में गुरुवार को बिसर्जन किया गया। इस में हरिपद महतो, सुबास महतो,सोनाली देवी,बबली कुमारी, जानकी देवी,चंचला देवीआदि शामिल थे।

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