वट सावित्री व्रत इस बार 30 मई को मनाई जाएगी
सुख। संपन्नता और पति की दीर्घायु के लिए रखे जाने वाला सुहागिन महिलाओं का वट सावित्री व्रत इस बार 30 मई सोमवार को पड़ रहा है। वट सावित्री व्रत की पूजा जेष्ठ कृष्ण पक्ष अमावस्या में की जाती है और इसी अमावस्या को शनि जयंती भी मनाई जाती है। इस बार की अमावस्या सोमवार को पड़ रही है। इसलिए सोमवती अमावस्या भी इस दिन ही होगी। वट सावित्री पूजा के दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर अखंड सौभाग्य की प्राप्ति और पति की लंबी उम्र के लिए बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं।
शास्त्रों के अनुसार बरगद के पेड़ को चिरंजीवी कहा जाता है, क्योंकि इस पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवों का वास है। जिन जातकों की कुंडली में शनि दोष है। शनि की महादशा, ढैया, साढ़ेसाती चल रही है ऐसे, जातक इस दिन शनि देव की विशेष पूजा-अर्चना कर दोष मुक्त हो सकते हैं। इस दिन की गई शनिदेव की पूजा-अर्चना, दान -पुण्य करने से शनि देव प्रसन्न होकर के यश, वैभव, सुख संपदा की वृद्धि तीव्रता से करेंगे। इस दिन गंगा स्नान, पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से भी मुक्ति मिलेगी।
इन शुभ संयोगो में व्याप्त होगी अमावस्या: अमावस्या पर प्रातः काल से ही सर्वार्थ सिद्धि योग और सुकर्मा योग व्याप्त रहेगा। जो पूजा -पाठ का सैकड़ों गुना फल देगा। सबसे खास बात तो यह है कि इस दिन सूर्य, चंद्रमा और बुध शुक्र की वृषभ राशि में बैठकर त्रिर्ग्रही योग का निर्माण करेंगे। सूर्य, चन्द्रमा शुक्र की राशि में बैठने से दांपत्य जीवन में मिठास, सुख ,ऐश्वर्य में वृद्धि करेंगे और सूर्य -बुध एक साथ होने से बुधादित्य योग का निर्माण होगा। जो बेहद सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।
वट वृक्ष की पूजन विधि: इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। इस पावन दिन वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है। वट वृक्ष के नीचे सावित्रि और सत्यवान की मूर्ति को रखें। इसके बाद मूर्ति और वृक्ष पर जल अर्पित करें। लाल कलावा को वृक्ष में सात बार परिक्रमा करते हुए बांधें और व्रत कथा सुनें। इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

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