लम्पी रोग से ग्रसित गायों के मौत से आने वाले दिनों में बढ़ सकते हैं डेयरी उत्पादों के दाम
लम्पी रोग से अब तक लाखों गाय अपना जान गँवा चुकी है, राजस्थान और उससे सटे राज्यों में यह तेजी से फैल रही है। पश्चिम बंगाल में भी यह रोग दस्तक दे चुकी है, अगर इस पर जल्द ही काबू न पाया गया तो आने वाले दिनों में यह और भी भयानक रूप ले लेगी। इसके कारण आने वाले दिनों में दूध और डेयरी उत्पादों के मूल्य में भारी बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगी, इस रोग से ग्रसित गायों की मौत हो जाने से गरीब किसानों की आर्थिक हालात ओर बिगड़ जाएगी।
क्या है लम्पी रोग
लम्पी त्वचा रोग एक वायरल बीमारी है जो मवेशियों में लंबे समय तक रुग्णता का कारण बनती है। ये रोग पॉक्स वायरस लम्पी स्किन डिजीज वायरस के कारण होता है। यह पूरे शरीर में दो से पाँच सेंटीमीटर व्यास की गांठों के रूप में प्रकट होता है।
यह बीमारी सबसे पहले 1929 में अफ्रीका में पाई गई थी। पिछले कुछ सालों में ये बीमारी कई देशों के पशुओं में फैल गई, साल 2015 में तुर्की और ग्रीस और 2016 में रूस जैसे देश में इसने तबाही मचाई। जुलाई 2019 में इसे बांग्लादेश में देखा गया, जहाँ से ये कई एशियाई देशों में फैल रहा है
कैसे बचाव करें
बीमारी की चपेट में आने वाले जानवरों के शरीर के उस हिस्से को नीम के पत्ते से धोएं अथवा कोनी का तेल लगाएं। जहाँ दाना-दाना निकल आया है। सूजन वाली जगह में भी यह उपचार कारगर है। किसानों को सलाह दी है कि इस संक्रामक रोग से बचाने के लिए पशुओं को पीड़ित पशुओं से अलग स्थान पर बांधें।
ये तस्वीर पश्चिम बंगाल के आसनसोल जिला कुल्टी डिसरगड़ रोड की हैं जो लंपी बीमारी से पीड़ित गाय जा रही हैं। सत्ताधारी केंद्र और राज्य सरकार एवं अधिकारी कुम्भकरण की नींद से सो रहे हैं, अभी तक किसी भी तरह के वेक्सीन का इस्तेमाल में नहीं लाया जा रहा है,
सिद्धांत सिंह विश्व हिंदू परिषद गौ रक्षक समिति के सदस्य ने कहा कि इस बीमारी से बीमारी से बचाने की लड़ाई में हमें न के बराबर सहयोग नहीं मिला हैं, आखिर क्यों..? इन गौमाता की कसूर क्या हैं. ? इनको इतनी बड़ी सजा मिल रही हैं । जब अपने गौमाता को लंपी बीमारी से बचाने के लिए खड़ा नहीं हो सकते तो किस बात हिन्दू ? इन बेचारी से गौमाताओं के बचाव के लिए हमें किसी से अभी तक कोई योगदान नहीं मिला ।
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