ग्रामीणों के भारी विरोध के कारण मैथन डैम में वाटर एडवेंचर बोटिंग का उदघाटन स्थगित
डीवीसी चेयरमैन और विधायक का फूंका पुतला, ग्रामीणों ने रोजगार की मांग को लेकर किया प्रदर्शन
मैथन। मैथन डैम स्थित गोगना छठ घाट पर आज होने वाला बहुप्रतीक्षित वाटर एडवेंचर बोटिंग का उद्घाटन कार्यक्रम स्थानीय ग्रामीणों और विस्थापितों के तीखे विरोध के कारण स्थगित कर दिया गया है। सोमवार देर रात डीवीसी (DVC) अधिकारियों की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। उद्घाटन की अगली तिथि अभी तय नहीं की गई है।
पुतला दहन और नारेबाजी
उद्घाटन की सभी तैयारियों, जिसमें डीवीसी चेयरमैन कैंप में पंडाल भी शामिल था, के बावजूद कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। स्थानीय ग्रामीणों ने आज सुबह करीब 10 बजे गोगना गांव से ढोल-नगाड़ों के साथ एक विशाल जुलूस निकाला। सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुषों ने गोगना छठ घाट पर पहुँचकर निरसा विधायक अरूप चटर्जी और डीवीसी चेयरमैन एस. सुरेश कुमार के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाजी की और दोनों का पुतला दहन किया।
ग्रामीणों का कहना था कि जब तक वाटर एडवेंचर बोटिंग का सामान छठ घाट से हटाया नहीं जाएगा, वे उसे आग लगा देंगे। स्थानीय विरोध को देखते हुए, वाटर एडवेंचर कंपनी ने आनन-फानन में दो ट्रक और एक क्रेन मँगाकर बोट और अन्य सभी सामान छठ घाट से हटाने की तैयारी शुरू कर दी, जिसके बाद जाकर ग्रामीण वहाँ से हटे।
ग्रामीणों की मुख्य मांग
विरोध प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने साफ़ कहा कि डीवीसी प्रबंधन को कोई भी नया प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले विस्थापितों और स्थानीय ग्रामीणों से वार्ता करनी चाहिए और सबसे पहले उनके रोजगार एवं विकास के लिए कार्य करना चाहिए। उनका कहना है कि यदि ऐसा किया जाता, तो वे डीवीसी के किसी भी प्रोजेक्ट का विरोध नहीं करते।
सुरक्षा व्यवस्था और परियोजना को ‘ग्रहण’
स्थानीय ग्रामीणों के भारी विरोध को देखते हुए, मैथन ओपी प्रभारी आकृष्ट अमन अपने दल-बल के साथ, साथ ही डीवीसी सीआईएसएफ और होमगार्ड के जवान भी गोगना छठ घाट पर तैनात थे।
कुल मिलाकर, मैथन डैम में वाटर स्पोर्ट्स एडवेंचर प्रोजेक्ट को फिलहाल ग्रहण लग गया है। हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि यह वाटर एडवेंचर प्रोजेक्ट मैथन में पर्यटन को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित हो सकता था और इससे स्थानीय लोगों के वर्षों पुराने सपने को भी झटका लगा है।
विरोध प्रदर्शन करने वालों में विस्थापितों के अध्यक्ष वासुदेव महतो, मांझी हडाम शंभू मरांडी, मोती हेंब्रम, उत्पल चक्रवर्ती, सहित अनेकों ग्रामीण महिला और पुरुष मौजूद थे।

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