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फिर से सीबीआई की छापामारी टीम का अभियान शुरू, तमाम खुली खान एवं कोलियरियोंं में उत्पादन से लेकर डिस्पैच एवं अवैध खनन के क्षेत्र का किया सर्वेक्षण

रानीगंज । अवैध कोयल के धंधा तस्करी एवंं हेरा फेरी को लेकर एक बार सीबीआई के टीम फिर से अवैध एवं वैध रानीगंज कोयलाञ्चल क्षेत्र के तमाम खुली खान एवं कोलियरियोंं में उत्पादन से लेकर डिस्पैच एवं अवैध खनन के क्षेत्र का सर्वेक्षण शुरू किया है। इतना ही नहीं सीबीआई पूरे मामले को खंगार रही है। जगह-जगह का मिट्टी का नमूना भी इकट्ठा कर रही है जिससे यह पतााा लगाया जा के पिछले 5 वर्षों में इस क्षेत्र में अभय और वेद कितने कोयले का उत्पादन हुआ। लगातार सीबीआई केेे टीम ने अभिया चला राखि है। इस छापामारी अभियान से एक बार फिर से पूरे कोयलाञ्चल क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है । पिछले 8 दिसंबर से सीबीआई के टीम ने सबसे पहले अनूप मांझी उर्फ लाला के तमाम ठिकानों पर छापामारी की थी लगभग 2 महीनेे हो गए इस मामले को लेकर रानीगंज आसनसोल दुर्गापुर कोयलाञ्चल सहित तमाम ठिकानों पर लगातार छापामारी अभियान चला रही है। कनु स्टोरियाँ एरिया के तहत चलनेे वाली सभी कोलियरियों में जाँच पड़ताल की। जिसमें कटोरिया कोलियरी बांसवाड़ा कोलियरी, परसियाा कोलियरी, नॉर्थ सीआरसोल , कोलियरी अमृत नगर कोलियरी एवं नारायण कुरी के आसपास के पैच एवं उसके आसपास के सभी ठिकानों का सर्वेक्षण किया।

पिछले 8 दिसंबर को एकाएक सीबीआई के दल ने छापामारी अभियान शुरू की ओर एक के बाद एक खुलासे सामने आने लगी हजारों करोड़ के इस कोयले के कालाबाजारी से लेकर अवैध खनन कार्यों पर उनकी शिकंजा चलने लगी आज भी स्थिति यह है कि इस कारोबार में लगे कोयला माफिया से लेकर इस कारोबार में जुड़े कोयला व्यवसाई भी घर छोड़ कर भागते फिर रहे हैं इतना ही नहीं कोयले पर आधारित कई उद्योग के मालिक आज भी भूमिगत हो रखे हैं। ऐसे कोयले के अवैध कारोबार को तकनीकी और कागजी तौर पर मानव सरकार ने खुलेआम इन्हें लाइसेंस अवैध कोयले का खनन तस्करी के लिए दे दिए हो इसका उदाााााहरण देते हुए सूत्रों ने एक दस्तावेज पेश किया है ।

सूत्रों का कहना है कि कोल इंडिया प्रबंधन खुली रूप से अवैध तरीके से खनन करने एवं तस्करी करने का मानव लाइसेंस दे दी है ।कोल इंडिया ने 21.12 .2018 को एक सर्वेक्षण कर आदेश जारी किया था पत्रांक संख्या सी आई / सी 5बी जेबीसीसीआई / एच पी सी / भी डी ए /1093, इसमें यह कहा गया है कि 1 क्यूबिक टर्न यदि ओबी अर्थात मिट्टी पत्थर आदि को निकालने में ₹133 ,23 पैसे का खर्च लगना तय है। यदि कोयले का उत्पादन का खर्च ₹235 प्रति टन तक हो सकती है ।ऐसी स्थिति में मात्र 43 रुपये वह भी अर्थात मित्र एवं ₹73 में कोयले का उत्पादन कैसे संभव हो सकता है ।

सूत्रों का कहना है कि सीबीआई इस बात पर ही जाँच पड़ताल कर रही है कि इतने कम लागत में यहाँ के ठेकेदार कर्मी किस प्रकार से कोयले का उत्पादन करती थी। जबकि कोल इंडिया लिमिटेड के अंतर्गत चलने वाले बड़े-बड़े ओसीपी खान मैं 12 सो रुपए से लेकर ₹2000 तक का खर्च आमतौर पर आती है । अब तो इस अंचल के व्यवसायिक संगठन रानीगंज चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष संदीप भालोटिया ने खुलेआम आरोप लगाते रहे हैं की यही वजह है कि अनेकों व्यवसाई उद्योगपति इस कारोबार से जुड़े इस धंधा से दूर हटने लगे हैं।

विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि ईसीएल के इस काले धंधे में कोयला माफिया अनुपमा जी उर्फ लाला जैसे ही लोग कारोबार को कर सकते हैं आमतौर पर अच्छे व्यवसायियों के लिए अब आउटसोर्सिंग के काम में भी आने में अपने को दूरी बनाने लगे हैं। सूत्रों का कहना है कि रानीगंज के कस्तूरिया एरिया काजोड़ा एरिया इलाके से ही तकरीबन डेढ़ सौ तक कोयले का हेरा फेरी बड़े ही सुनियोजित तरीके से की जाती थी और इस अंचल के करीबी जामुड़िया रानीगंज दुर्गापुर के कोयला पर आधारित उद्योग तक पहुँचाई जाती थी यही वजह है कि कोयला के इस कारोबारी को पकड़ने के लिए जब से छापामारी अभियान शुरू की गई है इस अंचल के बड़े से बड़े उद्योगपति भी भूमिगत हो गए हैं।

Last updated: फ़रवरी 2nd, 2021 by Raniganj correspondent
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