अभी तक नहीं मिला कार्तिक पूर्णिमा पर बराकर नदी में स्नान करने के दौरान डूबे मामा – भांजे का शव
बराकर। कार्तिक पूर्णिमा पर बराकर नदी में स्नान करने के दौरान डूबे धनबाद हीरापुर के मामा-भगना की तलाश दूसरे दिन बुधवार को भी जारी रही। आसनसोल के डीएमसी सातवीं बटालियन रेस्क्यू टीम की तलाश जारी रही। दो दिन बीत जाने के बाद भी नदी में डूबे मामा राजू दास, भगना राजू कुमार राम दोनों का कोई सुराग नहीं मिला है। परिजनों का रो -रो कर बुरा हाल है ।
घटनास्थल पर उपस्थित परिजनों ने झारखंड के चिरकुंडा पुलिस के असहयोग से असंतुष्टी जतायी। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस तरीके से बंगाल पुलिस अपना प्रयास लगाकर कार्य में जुटी है, इसी प्रकार चिरकुंडा पुलिस भी कार्य में लगती तो कुछ समाधान हो सकता था।
बुधवार को भी कुल्टी व बराकर की पुलिस टीम के नेतृत्व में सुबह से आसनसोल डीएमसी (डिजास्टर मैनेजमेंट ग्रुप) सातवीं बटालियन के 10 सदस्यों की टीम ने दोबारा रेस्क्यू प्रारंभ किया। जहाँ लगातार बोट लेकर घटनास्थल से लेकर चिरकुंडा पुल के पार तक पूरे क्षेत्र में तलाश की गयी।
बराकर रेल पुल के नीचे विभिन्न प्रक्रि या के माध्यम से भी प्रयास किया गया। किंतु कोई भी प्रयास सफल नहीं हो पाया। इस दौरान क्षेत्र के लोगों का जमावड़ा देखा गया। मैथन थाना के एएसआई भी मामले को लेकर घटनास्थल पर पहुँचे और रेस्क्यू टीम से बातचीत की। इस दौरान नदी में डूबे मामा-भगना के परिजन लगातार झारखंड पुलिस से मैथन डैम से पानी को बंद करने के आवेदन करते रहे। जिसकी सूचना भी दी गई है।
घटना स्थल बराकर नदी पुल के नीचे पीड़ित परिवार के लोग लगातार नज़र बनाये हुए है। भाई, जीजा समेत अन्य भी मौके पर मौजूद रहे।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस जगह घटना हुई है। वहाँ दोनों राज्यों के प्रशासनिक अधिकारियों को बैठकर इसपर विचार करने की आवश्यकता है। यहाँअनजानलोग तो नहाने के क्रम में डूबते ही हैं स्थानीय कई लोगों की भी जान गई है। इस लिए उक्त स्थान पर ऐसी व्यवस्था करे, जिससे लोग उस स्थान से दूर ही रहे। जब भी कोई डूबता है तो 24 से 36 घंटे में शव अपने आप ऊपर आ जाता है या फिर नदी में किसी मुहाने के किनारे पड़ी अवस्था में मिलता है।
डीएमसी डिजास्टर मैनेजमेंट ग्रुप के सात सदस्यों की टीम ने रेस्क्यू के दौरान बताया कि हमलोग दो दिनों से लगातार सभी प्रयास कर रहे है। जहाँ हमारे गोताखोर भी पानी में नीचे उतरे। नीचे इतनी गहराई के साथ रोड गाटर चट्टान है, जिसमें पानी के बहाव के कारण वहाँ तक पहुँचना संभव नहीं है, काफी खतरा है।
बताया जाता है कि रेल के पुराने पुल को खोलने के दौरान उसका काफी सारा मलबा उसके अंदर ही पड़ा हुआ प्रतीत होता है। जिससे वहाँ तक पहुँचना खतरे से खाली नहीं है।
घटनाक्र म को लेकर आसनसोल नगर निगम के एमएमआईसी पूर्णशशि राय ने घटनास्थल बराकर नदी घाट पर पहुँचकर स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने आसनसोल पुलिस और निगम की ओर से जो भी सहायता प्रदान की जा रही है, इसके बावजूद भी डूबे हुए लोगों का नहीं मिलने पर कोलकाता से गोताखोर कि टीम को बुलाकर रेस्क्यू कराने की बात कही।
बराकर नदी क्षेत्र झारखंड में पड़ता है, परंतु एक स्नान के दौरान बंगाल की ओर श्रद्धालु नहाने आये, जहाँ यह घटना घट गई, जो काफी दुःख:द है। घटना को लेकर भाई सूरज ने बताया कि हम सभी परिवार समेत ट्रेन से यहाँ स्नान करने आए थे, माँ पूर्णिमा देवी, भाई राजू दास, भाभी चांदनी, उसके दोनों बेटे, बहन ज्ञानवंती देवी, बेटा राजू इसमें शामिल था, सभी काफी खुश थे और स्नान कर रहे थे। इसी दौरान भगना नहाने के दौरान डूबने लगा, उसे देख मामा उसकी तरफ बढ़ा और दोनों डूब गए।
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