बंगाल की धरती मातृशक्ति की उपाधि प्राप्त है – श्रीराम भाई
राम कृष्ण परमहंस, काली माता से करते थे सीधे बात
रानीगंज- रानीगंज में आयोजित नौ दिवसीय श्री राम कथा के तहत कथा वाचक श्री राम भाई ने कहा कि बंगाल की धरती यह तो वैसे ही मातृशक्ति की उपाधि है, यहाँ भगवान राम कृष्ण परमहंस, काली माता से सीधे बात करते थे। आज पूरे देश में माता की पूजा की तैयारी की जा रही है। सारी सृष्टि का सर्जन जो है वह शक्ति और शिव के द्वारा ही है। शिव शक्ति के सहयोग से ही समस्त संसार की संरचना हुई है जगत के माता- पिता शिव एवं शक्ति है।
माता- पिता को दे सम्मान
भारतीय संस्कृति है, वह माता- पिता को माता- पिता का सम्मान देते, और उसी परंपरा में महाकाली को, महालक्ष्मी को, महा दुर्गा को, मां सरस्वती को हमने अपनी मां माना है, उनकी हम पूजा, आराधना करते हैं। रामकथा में भगवान राम जब बार- बार रावण का सिर काटते थे तो वह सिर फिर से परिलक्षित हो जाता था, तब उन्होंने अगस्त ऋषि से यह पूछा था कि यह मरेगा कैसे अगस्त ऋषि ने कहा था आप शक्ति की उपासना करें। भगवान श्रीराम ने 1000 कमल से शक्ति की पूजा की थी जब वह शक्ति की आराधना कर रहे थे 999 कमल थी एक कमल कम हो गई, तो भगवान राम ने कहा भगवान की आराधना कैसे करूं। रावण पर विजय कैसे पाऊ, अज्ञानता से भरी जीवन है ऐसे सोच रहे थे.
उन्हें याद आया वे कमलनयन है
रामजी को याद आया कि मेरी मां मुझे कमलनयन कहा करती थी। उन्होंने माता शक्ति को प्रसन्न करने के लिए कमलनयन सदृश नैनो को निकालने के लिए जैसे ही कटार को आंख के पास रखा, माता शक्ति अवतरित हुई एवं भगवान श्रीराम को विजय भवा का आशीर्वाद दिया। जो व्यक्ति अपने जीवन में अपने कर्तव्य को ईमानदारी से पूरा करता है, मां जगदंबा उसके सभी मनोरथ पूरी करती है, माँ यही चाहती है कि हर व्यक्ति अपने- अपने दायरे एवं मर्यादा में रहकर अपने समाज में प्रेम का विस्तार करते हुए प्रेम प्रसाद का वितरण करे, यश और प्रतिष्ठा प्रदान करे.
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