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मेहसी महर्षि मेही सत्सेवी जी महाराज की 99वीं जयंती के अवसर पर नीलकंठ धर्मशाला में सत्संग प्रवचन का आयोजन पांडेश्वर के भक्तों द्वारा किया गया। जहाँ भारी संख्या में महिला-पुरुष भक्त उपस्थित होकर सत्संग प्रवचन का रसपान करने के साथ भंडारा में प्रसाद ग्रहण किया। अपने सत्संग प्रवचन में अजन्द्र पति त्रिपाठी ने कहा कि जब गुरु की कृपा होती है, तभी ईश्वर भी अपनी कृपा बरसाते है।
भगवान ने भी गुरु को सर्वोपरि माना है और उनकी सेवा किया है, तभी वे ईश्वर कहलाये। जिन लोगों पर गुरु की कृपा हो गयी मानो उसका तकदीर बदल गया। उन्होंने क्रोध को कुप्रभावित बताते हुए कहा कि अपनी इच्छा पूरा न होने पर असहज अवस्था में उत्पन्न होने वाला मनोविकार क्रोध कहलाता है। क्रोध आध्यात्मिक ऊर्जा के रिसाव का सबसे बड़ा कारण है। इसलिये शास्त्रों में इसे पाप का मूल कहा गया है। इसलिये हमलोगों को क्रोध से बचना चाहिए।
क्रोध को जिसने नियंत्रण कर लिया। वह जग को जीत लिया। उसे सद्गुरु तो मिलेंगे ही साथ ही भगवान भी मिल जायेंगे। इसलिये हमलोग को अपने गुरु के बताए हुए रास्ते पर चलना चाहिए और जब उनकी कृपा पूर्ण होगी,भगवान भी दर्शन देगे। सत्संग प्रवचन के दौरान भक्त सुरेश अग्रवाल, भोला प्रसाद बर्नवाल, रमेश सोनी, हरिकृष्ण बर्नवाल समेत भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
Last updated: दिसम्बर 20th, 2018 by Pandaweshwar Correspondent
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