सालानपुर बीएलआरओ कार्यालय बना भ्रष्टाचार का अड्डा?
सालानपुर। सालनपुर प्रखंड का भूमि एवं भूमि सुधार कार्यालय (बीएलआरओ) इन दिनों भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है!
जिसका ताज़ा उदाहरण राहुल दीक्षित नाम के एक आवेदक ने बीएलआरओ कार्यालय में कार्यरत एक कर्मचारी पर रिश्वत मांगने का लिखित रूप से आरोप लगाया है।
आरोप के बाद बीएलआरओ कार्यालय में चल रहे भ्र्ष्टाचार फिर से लोगों के सामने खुल कर सामने आ गया है। हालाँकि, इस घटना में बीएलआरओ अधिकारी सुमन सरकार के बयान ने आग में घी डालने का काम किया है। उन्होंने दावा किया कि शिकायत वापस ले ली गई है, लेकिन जनता के मन में सवाल उठ रहा है – शिकायत वापस लेने का राज क्या है? क्या सालानपुर बीएलआरओ कार्यालय वाकई भ्रष्टाचार का अड्डा है, या यहाँ दलालों की प्रभुत्व चल रही है?
राहुल दीक्षित ने प्लॉट संख्या 463, जेएल संख्या 71 के अंतर्गत भूमि परिवर्तन के लिए केस संख्या CN/2025/2310/207 दायर किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि सभी दस्तावेज जमा करने के बाद भी उनके आवेदन पर काम आगे नहीं बढ़ा। इतना ही नहीं कार्यालय के एक अधिकारी जनार्दन घोष ने व्यक्ति ने फ़ाइल आगे बढ़ाने के लिए 1,30,000 रुपये की रिश्वत की माँग की।
इस आरोप ने सालानपुर बीएलआरओ कार्यालय में चल रही भ्रष्टाचार की गोरखधंधा को उजागर कर दिया है।
वही, मामले में बीएलआरओ सुमन सरकार का बयान चौंकाने वाला है। उन्होंने कहा कि राहुल और उनके पिता को नोटिस के ज़रिए तलब किया गया और पूछताछ की गई। उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने किसी के प्रभाव में आकर शिकायत की थी, आरोप को लेकर कोई प्रमाण नहीं दे सके। उन्होंने दावा किया कि शिकायत वापस ले ली गई है।
वही उक्त बयान ने लोगो के मन में नए सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या शिकायत वापस लेने के पीछे कोई दबाव था? या फिर रिश्वत के लेन-देन से मामला सुलझ गया? हालाँकि सुमन सरकार ने अलिखित रूप से शिकायत की सच्चाई स्वीकार की, लेकिन क्या दस्तावेज़ों की कमी के बहाने मामले को दबाने की कोशिश महज़ एक संयोग है?
सुमन सरकार ने दावा किया है कि उनके कार्यभार संभालने के बाद से बीएलआरओ कार्यालय में कोई दलाल गिरोह नहीं रहा है। उन्होंने कहा, “जिन्हें काम है, वे सीधे आ सकते हैं।” लेकिन यह दावा कितना सच है?
आम लोगों की शिकायत है कि इस कार्यालय में बिना रिश्वत के कोई काम नहीं होता। ज़मीन के नामांतरण, म्यूटेशन या अन्य सेवाओं के लिए दलालों के ज़रिए पैसे गिनने पड़ते हैं। राहुल जैसे कई लोग इस कार्यालय में दर-दर भटक रहे हैं और परेशान हो रहे हैं। जहाँ सरकारी सेवाएँ नागरिकों का अधिकार हैं, वहीं इस कार्यालय ने उस अधिकार को मज़ाक बना दिया है।
इस घटना ने जनता के मन में एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। बीएलआरओ कार्यालय में भ्रष्टाचार के जाल में आम जनता को कौन फ़सा रहा है? क्या सुमन सरकार के नेतृत्व में कार्यालय वाकई बेदाग़ हो गया है, या भ्रष्टाचार का जड़ और गहराता जा रहा है? क्या शिकायत वापस लेने का नाटक सिर्फ़ एक पर्दा है जिसके पीछे रिश्वतखोरी का खेल चल रहा है? लोगों की माँग है कि इस कार्यालय की गतिविधियों की पारदर्शी जाँच होनी चाहिए। अगर सरकारी सेवाओं के नाम पर भ्रष्टाचार का यह बाज़ार बंद नहीं हुआ, तो सालानपुर बीएलआरओ कार्यालय में दिन प्रतिदिन रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार बढ़ती जायेगी।

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