इस गाँव के मंदिर में पूजा के दौरान पहुँच गया यह विलुप्त होता जीव

अल्लाडी में विलुप्त प्रजाति मिलने से के लोगों में बना कौतूहल का विषय
सलानपुर : -सलानपुर ब्लॉक के अल्लाडी पंचायत के अंतर्गत अल्लाडी मोड़ के समीप एक शिव मंदिर है जहाँ पूजा के दौरान पास में स्थित के जंगल से विलुप्त होती प्रजाति का एक जीव मिला। क्षेत्र केे लोगों के लिए यह जीव कौतूहल का विषय बना रहा। उसे वन विभाग के कब्जे में दिया गया जिन्होंने इसे पैंगोलिन नामक एक जीव बताया ।
मंदिर में पूजा के दौरान पहुँच गया यह जीव
शुक्रवार के देर रात अल्लादी मोड़ स्थित एक शिव मंदिर है जहाँ पूजा के दौरान एक पैंगोलिन पहुँच गया। स्थानीय लोगों की नजर पड़ी तो पैंगोलिन सिमट गया। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि इनके साथ और एक पेंगोलिन भी था । जो भागने में कामयाब हो गया । लेकिन स्थानीय युवक ने एक पैंगोलिन को पकड़ा लिया। जिसके बाद वन विभाग को इसकी सूचना दी गई। इसे देखने बस्ती के लोगों की भीड़ लग गई थी। वन विभाग ने उसकी पहचान पैंगोलिन के रूप में की जो कि मादा है और इसकी लंबाई 2 से 3 फिट है । स्थानीय बोली में इसे कहट कहते हैं। क्षेत्र केे लोगों के लिए यह जीव कौतूहल का विषय बना रहा।
एशिया और अफ्रीका में पाया जाता है यह जीव
इस बारे में वन विभाग के अधिकारी मिलन कांति दास ने बताया कि अल्लादी के समीप एक जीव पाया गया जो छिपकली प्रजाति का प्राणी है। जिसका नाम पैंगोलिन बताया गया । इसकी मेडिकल जाँच पड़ताल के बाद उसे वन विभाग के जंगल में छोड़ दिया जाएगा लेकिन इसके साथ में जो पुरुष पेंगोलिन थे उसे पकड़ने के कोशिश जारी है । जिसे पकड़ा गया इसका वजन करीब पंाच किलोग्राम बताया गया है। यह जीव एशिया और अफ्रीका में पाया जाता है। भारत में मिलने वाले पैंगोलिन जमीन मेें बिल बना कर रहते हैं और रात में शिकार के लिए निकलते हैं। दिन के वक्त ये बिलों में ही रहना पसंद करते हैं।
दीमक, चींटियाँ है भोजन
स्तनधारी जीव पैंगोलिन का दीमक, चींटियां, कीड़े, मधुमक्खी, लार्वा भोजन होता है। इसी जीभ लंबी होती है और ये जमीन पर जीभ को फैलाकर बैठ जाता है। जीभ बेहद चिपचिपी होती है। इसमें दीमक, कीड़े आदि चिपक जाते हैं। इसी त्वचा नाखून की तरह सख्त होती है और पूंछ लंबी। इसका वजन डेढ़ से 33 किलो तक होता है।
इस जीव की होती है तस्करी,
पैंगोलिन की तस्करी लाखों रुपये में होती है। खासकर इसकी मांग चीन में सबसे ज्यादा है। इसकी खाल और मीट की बिक्री होती है। पैंगोलिन से पारंपरिक दवाइयाँ बनती है और फैशन के क्षेत्र में भी इसका इस्तेमाल होता है। वजन के हिसाब से इसकी कीमत तय होती है। जानकार बताते हैं कि 10 किलो वजनी पैंगोलिन 10 लाख रुपए में बिकता है ।
अंडे देनेवाली स्तनधारी जीव
क्या इन जीवों को पकड़ना जरूरी है ?
इस तरह के विलुप्तप्राय जीवों के किसी एक सदस्य को पकड़ लेने से दूसरे सदस्य ज्यादा दिनों तक जी नहीं पाएंगे। पकड़ी गयी पेंगोलिन एक मादा है संभव है कि इसके बच्चे भी होंगे और इसकी संख्या कइयों में हो सकती है। यदि वन विभाग की निगरानी में ग्रामीणों को ही इन विलुप्त जीवों के साथ जीने एवं सुरक्षा के लिए जागरूक किया जाय तो ज्यादा बेहतर होगा। इससे विलुप्त प्रजाति अपने प्रकृतिक परिवेश में रह पाएंगे एवं उनकी सुरक्षा भी होती रहेगी

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