राजेश सराफ़ जैसे लोग ही उम्मीद को जिंदा रखे हुये हैं

रानीगंज के व्यवसायी व समाजसेवी , राजेश सराफ़ जो बीते 14 मार्च को श्री सीतारामजी भवन की प्रबंधकीय चुनाव में खड़े हुये थे और उन्होने मुझसे इस बाबत एक विज्ञापन चलाने के लिए भी कहा । चूंकि विज्ञापन अल्पकालिक था इसलिए बिल मांगना मैं भूल गया।
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वो भी शायद इंतजार कर रहे थे कि मैं उनसे विज्ञापन के पैसे माँगू लेकिन तीन महीने बीत जाने के बाद भी जब मैंने उनसे पैसे नहीं मांगे तो उन्होने स्वयं फोन करके मुझे याद दिलाया और अपने शो-रूम में बुलाया ।
बीते बुधवार को मैं उनके फर्नीचर शोरूम गया जहां उन्होने ससम्मान न केवल विज्ञापन के बिल दिये बल्कि एक उपहार भेंट कर सम्मानित भी किया । हालांकि वे उस चुनाव में हार गए थे लेकिन उनके इस व्यवहार ने दिल जीत लिया ।
मंडे मॉर्निंग अखबार चलाते हुये मुझे करीब आठ साल हो गए हैं। इस दौरान एक भी ऐसा वाकया न हुआ जब किसी विज्ञापनदाता ने स्वयं फोन कर बुलाया हो और ससम्मान विज्ञापन के पैसे दिये हैं। मंडे मॉर्निंग एक साप्ताहिक अखबार है और बड़े दैनिक अखबारों से इसकी कोई तुलना ही नहीं है। जब से वेबसाइट शुरू की गयी है तब से लोकप्रियता काफी बढ़ गयी है लेकिन उसके बाद भी वैसी स्थिति कभी नहीं आई कि किसी विज्ञापनदाता ने दो बार याद दिलाकर पैसे देने के लिए बुलाया हो । उल्टा मांगने पर भी नहीं मिलते हैं।
हम पत्रकार लोग हैं, न्यूज़ से ही फुर्सत नहीं मिलती है और एक व्यवसायी की तरह वसूली भी नहीं कर सकते हैं इसी कारण कई लोग अपना विज्ञापन छपवा कर पैसे ही नहीं देते हैं जिनमें व्यवसाई से लेकर कई नेता भी हैं ।
छोटे अखबार हमेशा आर्थिक संघर्ष से जूझते रहते हैं और उस संघर्ष में राजेश सराफ़ जैसे लोग ही उम्मीद को जिंदा रखे हुये हैं । उनकी ईमानदार सोंच के लिए धन्यवाद ।

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