प्रोजेक्ट विस्तारिकरण में माँ काली के भक्तों ने बी सी सी एल प्रबंधक के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूँका
कहते है कि माँ काली इस कलयुग की साक्षात् देवी माँ हैँ जो की अपने बच्चों पर सदा कृपा दृष्टि बनाये रखती हैँ किन्तु ज़ब उनके बच्चे ही उनसे उनका घर को छीन लेने को लेकर अगर आतुर हो जाए तो उन बच्चों को उनके प्रकोप से माँ काली ही बचाये ऐसी ही एक माँ काली विराजमान हैँ ऐना इस्लामपुर में जो की लगभग पिछले ना जाने कितने वर्षो से अपनी आँचल फैलाये यहाँ आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करती आ रही हैँ और आज इन्हीं के मंदिर को बी सी सी एल प्रबंधक अपनी मेगा प्रोजेक्ट की विस्तारिकरण को लेकर तोड़ने पर अमादा हैँ यहाँ एक बात और गौर करंने वाली हैँ कि इसी झरिया शहर को बसाने में अंग्रेजी हुकूमत ने किया नहीं किया और आज ज़ब अंग्रेज चले गए हैँ तो यही माँ काली के बच्चे इनके विस्थापन को लेकर एड़ी चोटी एक किये हुए हैँ चुकि अब यहाँ तो एक कहावत और स्पष्ट हो जाती हैँ कि नाच ना जाने तो अंगनवा टेढ़ा अब कौन इन्हें समझाये की ओपेन कास्ट भविष्य का सोलुशन नहीं हैँ ये तो उस सोने की अंडे देने वाली मुर्गी की कहानी जैसी ही हैँ जिसे लगभग सभी लोगों ने पढ़ा हैँ और जाना हैँ वहीँ कुछ लोग बी सी सी एल प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ बिगुल फूँकने को लेकर तैयार हैँ जबकि नीवर्तमान पार्षद निरंजन माली ने इस मंदिर को लेकर कई बातें बतलाई जो की काफी चौकाने वाली जैसी ही हैँ ये मंदिर 1904 से स्थापित हैँ जो की झरिया की एक धरोहर से कम नहीं हैँ इनके द्वार पर जो भी भक्त भक्ति के भाव से आकर माँ से कुछ भी माँगा हैँ तो माँ काली उस भक्त को फल देने में जरा सा भी विलम्ब नहीं की हैँ ऐसी हैँ इस माँ काली में आम लोगों की आस्था वहीँ माँ काली का यह मंदिर कैसे अपना वजूद को बचा पाती हैँ ये तो माँ काली ही जाने — जय माँ काली

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