बेरोजगार ठेका श्रमिक की मौत पर हंगामा
दुर्गापुर (प0 बंगाल) के अंडाल थाना क्षेत्र के लक्षिपुर निवासी राजू महतो की मौत पर पूरे काजोरा कोलियरी क्षेत्र में हंगामा मच गया।
सैकड़ो की संख्या में लोग कजोरा मोड़ स्थित जेके रोपवेज के कार्यालय में लाश के साथ जमा हो गए. घटना 15 जुलाई की है।
बेरोजगार ठेका श्रमिक था राजू महतो
ईसीएल ने कर दिया बेरोजगार
राजू महतो ईसीएल के जेके रोपवेज में निजी सुरक्षा कंपनी “पूर्वाञ्चल गार्ड्स “ में कार्यरत था।
बेरोजगारी और गरीबी बनी मौत की वजह
स्थानीय लोगों एवं उनके परिवार के अनुसार राजू महतो की मौत गरीबी और चिंता के कारण हुयी है।
मुआवजे की मांग पर अड़ गए सभी बेरोजगार श्रमिक
मौत की खबर पूरे कोलियरी में दावानल की तरह फैल गयी
और सैकड़ों की संख्या में लोग जेके रोपवेज के कार्यालय में जमा हो गए ।
तृणमूल मजदूर ठेका श्रमिक यूनियन की ओर से मृतक के परिवार के लिए मुआवजा की मांग की गयी।
प्रबंधन के आगे एक न चली बेरोजगार श्रमिकों की
तृणमूल मजदूर ठेका श्रमिक यूनियन कजोरा इकाई के सभापति प्रदीप पोद्दार
ने बताया कि हालांकि रोपवेज प्रबंधन ने मुआवजा देने में अपनी असमर्थता जताई है
फिर भी मृतक के अंतिम संस्कार के लिए तीस हजार का अनुदान दिया है ।
उन्होने कहा कि वे मृतक के लिए मुआवजे की मांग पर अपना आंदोलन जारी रखेंगे ।
साथ ही उन्होने कहा कि सरकार को इन बेरोजगार गार्डों के भविष्य के बारे में सोंचना चाहिए ।
शोषण कर रही है सरकार
अन्य बेरोजगार श्रमिकों ने कहा कि रोपवेज की आड़ में सरकार हम गरीब मजदूरों का शोषण कर रही है।
एक तो पहले से ही ठेकेदारों द्वारा शोषित हो रहे थे।
फिर भी जो कुछ भी मिलता था उससे किसी तरह गुजारा होता था।
अब काम से निकाल दिये जाने के बाद 2700 मजदूरों के साथ- साथ उनके परिवार का भविष्य अंधकार में चला गया है।
वर्षों से कर रहे थे यही काम
कोलियरी खदानों में निजी सुरक्षा गार्ड वर्षों से काम कर रहे हैं।
ठेका कंपनी कई बार बदली है पर गार्ड वही रखे जाते थे ।
जिससे वर्षो से उन्हें कोलियरी में ही रोजगार मिला हुआ था।
वर्तमान में वे “पूर्वाञ्चल गार्ड्स “ के अधीन काम कर रहे थे।
अब क्या खाएँगे …?
ईसीएल द्वारा निजी सुरक्षाकर्मी की बहाली को समाप्त कर देने के कारण अब इन सुरक्षाकर्मियों के समक्ष भुखमरी की स्थिति हो गयी है
सभी बेरोजगार श्रमिकों के साथ अब सबसे बड़ी समस्या है कि अब वे क्या खाएँगे।
“पूर्वाञ्चल गार्ड्स “ के ठेका काम से इतनी मजदूरी नहीं मिलती थी कुछ भविष्य के लिए बचा सकें।
बीते 1 जुलाई से काम बंद होने से अब अगली तनख़्वाह नहीं मिलेगी।
घर में जो कुछ बचा-खुचा है उससे 15 दिनों से गुजारा कर रहे हैं ।
लेकिन उसके बाद वे और बच्चे क्या खाएँगे । यह एक बड़ा प्रश्न है।
कहीं और मजदूरी मिल नहीं रही
इन ठेका मजदूरों ने वर्षों से सुरक्षा गार्ड की ही नौकरी की है।
ऐसे में किसी नए काम में तुरंत जाना इतना आसान भी नहीं है।
उस पर इतनी जल्दी कहीं कोई दूसरा काम ढूँढना और मिलना भी आसान नहीं है।
कोलियरी प्रबंधन पर टिकी है निगाहें
सभी बेरोजगार मजदूर कोलियरी प्रबंधन पर टकटकी लगाए हुये हैं।
मजदूर संगठनों और कोलियरी प्रबंधन में बात हो रही है।
शायद कोई रास्ता निकाल आए एवं सभी बेरोजगार मजदूरों की पुनर्बहाली हो जाए।
अन्यथा यह एक नए सिलसिले की शुरुआत करेगा।
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