कैसे हो खुले में शौच मुक्त व्यवस्था का अंत !!

ग्रामीण स्वच्छता आज बहुत बड़ी चुनौती बन गयी है। जो पीने के पानी को प्रदूषित करने का सबसे बड़ा कारण है। घरेलू अपशिष्ट को नष्ट करने की सही जानकारी न होना भी स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बन गया है और आंत्रशोथ जैसी बीमारियां इससे उत्पन्न होती हैं। यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार 620 लाख से अधिक ग्रामीण खुले में शौच जाते है। अधिकतर स्कूलों में शौचालय ही नही बने हैं। आधे से अधिक आबादी के पास शौचालय की सुविधा नहीं है।

खुले में शौच जाने वालों की संख्या लगभग 170% बढ़ी है

एक सर्वे रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले चार वर्षों में खुले में शौच जाने वालों की संख्या लगभग 170% बढ़ी है। गन्दी बस्तियों और उसके आसपास के शहरों का विकास ग्रामीणों के लिए चुम्बक का कार्य कर रहा है जो अच्छे रोजगार की खोज में या अपने ग्रामीण आवासों में रोजगार की कमी के कारण वहाँ आते हैं। गन्दी बस्ती का प्रबंधन शहरी शासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है जो संसाधनों की कमी और खराब प्रबन्धन के कारण और खराब हो रहा है।

महिला है सबसे अधिक पीड़ित

कुछ वर्षों पहले दो किशोर लड़कियों के बलात्कार की घटना हुई थी जिनके पास घर में शौचालय की सुविधा नहीं थी। घनी आबादी वाले उत्तर प्रदेश में यह घटना सिद्ध करती है कि स्वच्छता की समस्या के कारण सबसे अधिक महिलाओं की सुरक्षा खतरे में है। 53%से अधिक घरों में 620 लाख खुले में शौच में जाते हैं। इन सभी महापालिकाओं को सभी को यह मूलभूत सुविधाएं देने के लिए बहुत लंबा समय तय करना है।

नाकाफी सिद्ध हो रहे हैं सरकार की योजनाएँ

जीवन सुरक्षित रखने के लिए जो स्वच्छता और पानी के अर्थशास्त्र पर जो शोध हुए हैं, वह यह बताते हैं कि कोई भी एक अकेला काम जनस्वास्थ्य में बड़ा बदलाव नही ला सकते हैं, इसके लिए खराब स्वच्छता एवं अकाल मृत्यु के निदान के लिए जो वार्षिक आर्थिक व्यय होता है, उस पर बड़ा ध्यान देना जरूरी है।

शौच मुक्त व्यवस्था एक चुनौती है

यह अच्छा है कि यूनिसेफ ने भी इस विषय पर गम्भीरता से विचार किया है और सभी महानगरों में जन जागृति अभियान चलाया है। यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि पुणे महानगर पालिका और पुणे जिला परिषद दोनों ही ने खुले में शौच मुक्त गांवों के लिए और अधिक व्यवस्था करने का फैसला किया है। मैं इससे सहमत हूँ कि खुले से शौच मुक्त व्यवस्था एक चुनौती है,पर इसको सबसे अधिक प्रमुखता देनी चाहिए क्योंकि इससे अनेक बीमारियां जन्म लेती हैं।

Last updated: अक्टूबर 24th, 2017 by Jiban Majumdar

Jiban Majumdar
Columnist from Pune (Maharashtra) Active in generating Social Awareness campaign
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