कबाड़ से बना दिया खूबसूरत नाइट लैंप
यह खूबसूरत नाइट लैंप 11 वर्षीय छात्रा सष्मिता चक्रवर्ती ने कबाड़ के जुगाड़ से बनाया है। यह उसके स्कूल के एक प्रोजेक्ट का हिस्सा है जिसमें सभी बच्चों को बेकार पड़े सामानों से काम का सामान बनाने का लक्ष्य दिया गया था। तीन “आर” के सिद्धांतों (रिड्यूस, रियूज , रिसाइकल) पर चलते हुये बच्चों को प्रेरणा दी गयी की हम अपने दैनिक जीवन में कम से कम प्लास्टिक सामानों का इस्तेमाल करें। सिंगापूर स्थित एक विद्यालय में बच्चों को यह कार्य दिया गया था। महाराष्ट्र के रहने वाले सिंगापूर में रह रहे भारतीय परिवार जो मंडे मॉर्निंग न्यूज़ नेटवर्क के नियमित पाठक हैं उन्होने यह फोटो और डिटेल हमें भेजी है ।
इस प्रोजेक्ट को बनाने में सष्मिता चक्रवर्ती की माँ जया सष्मिता ने काफी मदद की। उन्होने हमें बताया कि विद्यालय द्वारा बेकार हो गए सामानों से काम का सामान बनाने का प्रोजेक्ट दिया गया था जिसे सफलतापूर्वक मेरी बेटी ने पूरा कर लिया । थोड़ी बहुत मदद मैंने की है लेकिन अधिकांश भाग उसने स्वयं ही बनाया है। उन्होने बताया कि पर्यावरण संतुलन के लिए बहुत जरूरी है कि हम इस्तेमाल किए हुये सामानों का दुबारा से इस्तेमाल करें और बेकार हो जाने के बाद उसे रिसाइकल करके कुछ अन्य काम का सामान बनाकर फिर से इस्तेमाल करें । इससे हमारा पर्यावरण साफ रहेगा और प्रकृति पर कचरे का बोझ कम पड़ेगा।
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मंडे मॉर्निंग न्यूज़ नेटवर्क इस तरह की कोशिशों की सराहना करता है । पर्यावरण संरक्षण के लिए बहुत जरूरी है कि बचपन से छात्रों में जागरूकता फैलाई जाई और प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर चलने के लिए प्रोत्साहित किया जाये। इस तरह की कोई कोशिश आपने भी की है तो हमें जरूर इस पते पर मेल करें( [email protected] ). चुने गए खबरों को हम प्रकाशित करेंगे।
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