वैश्विक निर्यातों में भारत की जेनरिक दवाओं की 20 प्रतिशत हिस्सेदारी : उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने दवा उद्योग का आह्वान करते हुए कहा कि वे भारत को जेनरिक दवाओं का एक अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र बनाने की दिशा में कार्य करें। उपराष्ट्रपति ने आज नोएडा में 70वें भारतीय फॉर्मास्युटिकल कांग्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि भारत विश्वभर में जेनरिक दवाओं का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। वैश्विक निर्यातों में भारत की जेनरिक दवाओं की 20 प्रतिशत हिस्सेदारी है। भारतीय दवा उद्योग गुणवत्ता और कीमत के मामले में बेहतर है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि जेनरिक दवाओं के मामले में वैश्विक तौर पर अग्रणी होने के साथ-साथ भारत को भारतीय चिकित्सा प्रणाली को भी बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने युवा अनुसंधानकर्ताओं का आह्वान करते हुए कहा कि वे भारतीय चिकित्सा प्रणाली के मानकीकरण की दिशा में कार्य करें और वैश्विक तौर पर स्थापित प्रयौगिक तौर-तरीके का इस्तेमाल करते हुए इन पारम्परिक चिकित्सा प्रणालियों को गुणात्मकता, वैधता और प्रभावोत्पादकता स्थापित करें।

उपराष्ट्रपति ने दवा कम्पनियों का आह्वान करते हुए कहा कि वे कॉरपोरेट-सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) से जुड़े नियमों से आगे जाकर लोगों की जान बचाएं और उन लोगों को अन्य अनिवार्य दवाएं उपलब्ध कराएं, जो उन्हें खरीद नहीं सकते। उन्होंने कहा कि भारत जैसे एक देश के लिए सस्ती दरों पर स्वास्थ्य सुविधाएं और दवाएं उपलब्ध कराना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारत विकासशील देशों में सस्ती दरों पर जीवन रक्षक दवाएं उपलब्ध करा रहा है।

इससे पहले, नायडू ने सभी प्रमुख फॉर्मास्युटिकल कम्पनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से बातचीत की। इस सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर देशभर से आए 5000 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के उत्पाद और मद्य निषेध मंत्री जय प्रताप सिंह और दवा उद्योग के अन्य अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

Last updated: दिसम्बर 21st, 2018 by News Desk

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