मेरी बात — “उत्साही बनें ” @ ( सुनील कुमार निराला )
मेरी बात — “उत्साही बनें ” @
( सुनील कुमार निराला )
प्रत्येक मनुष्य में उत्साह का होना एक पैदाइशी गुण होता हैँ ऐसा माना जाता हैँ बस आपसबों को महसूस करना हैँ कि आप किसी भी काम को लेकर उत्साहित हो।
आप उत्साहित हो सकते हो,क्योंकि ज़ब आपने एक अनजान दुनिया में प्रवेश किया था,और आपको किसी रिश्ते की कोई समझ नहीं थी आप स्वयं अपने होशोहवास में नहीं थे किन्तु सभी लोग काफी खुश थे और उनलोगों की खुशी का कोई ठौर ठिकाना तक नहीं था
आप उत्साहित हो सकते हो, जब आप लड़खड़ाते पांव से चलते थे और तब तक चलना जारी रखा जब तक आप स्वयं के पाँवों पर चलना सीख नहीं लिया।
आप उत्साहित हो सकते हो,जब आपने पहले दिन वर्णमाला की पहली अक्षर लिखकर अपने अभिभावक या शिक्षक को दिखाया होगा।
आप उत्साहित हो सकते हो,जब आपने अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी कर उच्च शिक्षा हासिल किया होगा,आप उत्साहित हो सकते हो,कि विद्यार्थी दिनों के किसी खास दोस्त के लिए या उन पलों के लिए जो आज भी आपके द्वारा याद किया जा रहा होगा
आप उत्साहित हो सकते हो, अपने पहले जाॅब के लिए
आप उत्साहित हो सकते हो, अपने पहले दिन या महीने की पहली कमाई के लिए,जो आपने अपने माँ पापा के हाथों में सौंपा होगा।आप उत्साहित हो सकते हो, अपने प्रियतम से पहले मुलाकात के लिए।
आप उत्साहित हो सकते हो, अपने पहले प्रेम या प्यार के लिए
आप उत्साहित हो सकते हो, अपने शादी के पहले सुहागरात के दिन के, रोमांचकारी क्षणों के लिए।आप उत्साहित हो सकते हो अपने शादी की पहली सालगिरह पर धर्म-पत्नी के साथ निभाए गए वादों के लिए।आप उत्साहित हो सकते हो घर में गूंज रही एक नन्हे मुन्हे बच्चों की मीठी मुस्कान के लिए।आप उत्साहित हो सकते हो,स्वयं के द्वारा किए गए जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए।आप उत्साहित हो सकते हो, हमारे द्वारा याद दिलाए गए इन महत्वपूर्ण क्षणों के लिए जो की आपसभी के मन में एक गुदगुदी का अहसास दिलाने के लीए काफी हैँ,आप उत्साहित हो सकते हो, अपनी निराशाजनक स्थिति के लिए जो की ईश्वर ने आपको अनजाने में दे दी है जबकि आप स्वयं से लड़ रहे हैँ स्तिथि से बाहर निकल कर एक बेहतर कल को बनाने के लिए क्योंकि आपके कल को किसी ने भी नहीं देखा हैँ वहीँ आप उत्साहित हो सकते हो,खुद के स्वर्णिम भविष्य और सुखमय जीवन के लिए जो एक कदम की दूरी पर आपका इंतजार कर रही है बस आपको एक कदम बढाकर उसे पकड़ने की ही देर हैँ
आप उत्साहित हो सकते हो, अपने एक कदम के निर्णय को लेकर किया यह निर्णय आपका होगा और वह कदम आपके द्वारा कब उठाया जाएगा यह बात तो कोई स्वयं से पूछे की जीवन भर के इस उठापटक में आपने किया खोया और किया पाया बाकी एक बात मुझे सबों से कहनी हैँ कि अपनी उम्र के हिसाब से साल जोड़ लें और उसे होली पर्व का उत्सव उत्साह पुर्वक जोड़ ले जैसे उदाहरण स्वरूप मेरी उम्र 42 साल हैँ और मैं स्वयं लगभग अपनी उम्र के हिसाब से ज्यादा से ज्यादा 18 होली का पर्व और मना सकता हूँ चुकि आप सब मुझसे जायदा समझदार हैँ आप स्वयं जोड़ लें की आप सबों को होली कितना बटे कितना के हिसाब से पड़ रही हैँ तो ज्यादा सोच विचार ना करें और उत्साहित होकर उत्साह पुर्वक अपने जीवन को जिए और समाज में उत्साहित होकर एक नया उमंग को प्रदान करने की कोशिश अपनी ओर से अवश्य करें, ✍️✍️✍️✍️
सुनील कुमार चंद्रवंशी निराला 🖋️ ✍️✍️✍️✍️

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