मेरी बात, रिश्तों मेँ पैसे की अहमियत, अरुण कुमार लेखक सह पत्रकार मंडे मॉर्निंग न्यूज़ नेटवर्क
मेरी बात,,,,, रिश्तों में पैसे की अहमियत,, आज यह टॉपिक लिखने से पहले मैं काफी पेशोपेश मेँ था कि क्या लिखू और क्यों लिखू किन्तु जब मैंने इस टॉपिक को अपने मन की अंतरात्मा से मिलाया तो काफी बातें साफ सी हो गई और जब कुछ छन के आया तो समझ गया की अब किस तरह और कौन से रिश्ते और रिश्तेदार को अहमियत देनी हैँ दोस्तों सब केवल समझ का फेर हैँ परन्तु मेरी आनेवाली आगामी पुस्तक,,लाइफ इज लाइक ए कैमरा,,इसी जिंदगी पर आधारित एक पार्ट हैँ कि कैसे आज के इस कलयुग रूपी समाज मेँ सारे रिश्ते और रिश्तेदार केवल दिखावटी रह गए हैँ वे केवल पैसे की भाषा को समझते हैँ या समझने की इच्छा रखते हैँ कीमत सिर्फ और सिर्फ पैसे की हैँ वरना कल और आज मेँ बहुत फर्क हैँ मेरी भावना किसी रिश्ते और रिश्तेदार को दुःख पहुंचाने की नहीं हैँ किन्तु एक परिवार स्वयं मेँ परिपक्व होता हैँ उसे किसी और की जरुरत कम ही पड़ती हैँ जबकि मैं स्वयं उस कड़ी दर कड़ी से जुड़ा हुआ रहता था जिसमें सभी रिश्तों और सभी रिश्तेदार के साथ एक जुगलबंदी सी होती थी किन्तु आज एक मित्र उन सब रिश्तों और रिश्तेदारों से भारी पड़ जाता हैँ जिन रिश्तों और रिश्तेदारों के लिए मैंने जीवन भर संघर्ष किया कहने मेँ थोड़ा अटपटा लगता हैँ परन्तु यह एक कठोर सत्य हैँ जिसकी कल्पना से ही आप संतुष्ट होते हुए भी अशांति महशुस करते हैँ तो जब आप सभी मामलों को निचोड़ कर निकाल पाते हैँ तो आप स्वयं को अकेला एक जगह खड़ा पाते हैँ और उस सुखद अहसास को याद कर भावुक हो जाते हैँ कि काश वो इंसान मेरी उस बात को जान पाता जिसमे की पैसों से ज्यादा रिश्तों को ज्यादा अहमियत दी जाती हैँ मैं शुक्रगुजार हूँ हर उस व्यक्ति का जो की पैसे से ज्यादा रिश्ते और रिश्तेदार को अहमियत देते हैँ, जीवन की यह एक कड़वी सच्चाई सबों को याद रखनी चाहिए कि पैसे तो फिर भी आ जाएंगे किन्तु एक सच्चा दोस्त, एक इंसान, एक परिवार और एक रिश्तेदार इतनी आसानी से नहीं मिलेंगे जिसकी आपने कभी भी कल्पना किये थे,,,,
अरुण कुमार,,,, लेखक सह पत्रकार,, ब्यूरो चीफ मंडे मॉर्निंग न्यूज़ नेटवर्क,,,,शाखा प्रबंधक भागवत ग्रुप कारपोरेशन

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