मेरी बात — “मुझे किसी से कुछ उम्मीद नहीं तभी मुझे किसी से तकलीफ नहीं”@ अरुण कुमार लेखक सह पत्रकार
मेरी बात —- “मुझे किसी से कुछ उम्मीद नहीं, तभी मुझे किसी से तकलीफ नहीं “—- आज का यह टॉपिक कई मायनों में खास हैँ और वो हो भी क्यों ना जब सारी बातें हम से शुरू होकर मुझ पर आकर रुक जाती हैँ तब वो सारी बातें केवल बात होकर ही रह जाती हैँ जबकि एक इंसान की फिदरत कब बदल जाए ये तो उस इंसान को भी नहीं समझ आता हैँ कि ऐसा कैसे हो गया वहीँ ज़ब वहीँ सख्शियत व इंसान अपने आपमें हम को छोड़कर मुझ पर आकर रुकता हैँ तो बात समझ में आ जाती हैँ कि किधर कमी रह गई वहीँ एक कहवात आज भी इस टॉपिक को देखकर याद आ रहा हैँ कि समय का यह चक्र कब कुचक्र ले आए ये कोई नहीं जानता किन्तु मैं तो इतना जानता हूँ कि उसकी लाठी में आवाज़ नहीं होती हैँ किन्तु वो पड़ती जरूर हैँ और ज़ब ज़ब इसकी जरुरत पड़ती हैँ तब तब ऊपर वाला उस लाठी का इस्तेमाल अवश्य करता हैँ यही विधि का विधान भी हैँ वहीँ टॉपिक से भटकने व भटकाने की जरुरत पाठकगण को मेरी ओर से कदापि भी नहीं हैँ किन्तु मैं लेखक और पत्रकार भी हूँ तो थोड़ी – थोड़ी भटकाव हो ही जाती हैँ अब बात आती हैँ किसी से उम्मीद की तो भला वो आप किस्से करेंगे जबकि यहाँ तो अपने ही बेगाने बन बैठे हैँ मैं यह मेरी बात नहीं कर रहा हूँ आज का यह जो परिवेश चल रहा हैँ मैं उस बात को ज्यादा तवज्जो दे रहा हूँ तभी तो मुझे किसी से तकलीफ भी नहीं हैँ यह भी कुछ हद तक सही ही हैँ क्योंकि आप अगर किसी से उम्मीद नहीं करते हैँ तो आपको किसी से तकलीफ होने का अहसास भी नहीं होना चाहिए और अब जबकि इस कलयुग रूपी संसार में संस्कार की घोर कमी आन पड़ी हैँ पहले वो सही हो जाए तब जाकर कुछ इंसान पर यह टॉपिक उपयुक्त रूप से फिट बैठेगी कुछ लोगों को मेरी बात थोड़ी अटपटी लगती होगी किन्तु श्रीमान आज अगर आप नहीं सम्भले तो इतिहास आपको आगे संभलने का कोई भी मौका नहीं देगी तो अभी भी देर नहीं हुआ हैँ अपने कर्तव्य को समझें और दाईत्व को निभाए अन्यथा जैसे घड़ी की सुई लगातार चक्कर लगाकर टाइम बताती हैँ वैसे ही आपका जीवन काल भी घड़ी की उस सुई की तरह ही चक्कर लगा लगाकर आपके जीवन के साथ अवश्य खिलवाड़ करेगा यह बात उतनी ही सत्य हैँ जितना आप सब समझते हैँ या समझ गए हैँ मैं मेरी जिम्मेदारी और जिम्मेवारी समझता हूँ काश आप सब भी समझें या समझने की कोशिश करें अन्यथा आपसबों के लिए यह लाइन काफी उपयुक्त हैँ और उपयोगी भी की # मुझे किसी से कुछ उम्मीद नहीं यही कारण हैँ कि मुझे किसी से तकलीफ भी नहीं हैँ #
अरुण कुमार, मंडे मॉर्निंग न्यूज़ नेटवर्क (भागवत ग्रुप कारपोरेशन)

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