मेरी बात — ✍️लव शब्द की परिभाषा ✍️ लेखक सह पत्रकार @ अरुण कुमार
मेरी बात — लव की परिभाषा ✍️✍️ लेखक सह पत्रकार अरुण कुमार — आज हमसब मिलकर लव शब्द के बारे में जानने की कोशिश करेंगे की लव हैँ किया और इसकी सच्ची परिभाषा किया हैँ और किया होनी चाहिए तो आगे बढ़ने से पहले हमसब यह जान लें कि “LOVE “शब्द चार अक्षरों के साथ मिलकर बना हैं जिसका मतलब अगर हमसब एक सांकेतिक भाषा में निकाले तो इसका मीनिंग काफी ह्रदयविदारक हो जाता हैँ क्योंकि इसका पहला अक्षर L- लेख ऑफ़ सौरो ( दुःखो का पहाड़ ), O- ओसैन ऑफ़ टियर ( आंसुओ का समंदर ) V – वेली ऑफ़ डेथ ( मौत की घाटी ) और अंत में E – एंड ऑफ़ लाइफ ( जीवन का समापन ) यही हैँ, LOVE का फूलफार्म जो की एक कड़वी सच्चाई की ओर भी इशारा करती हैँ क्योंकि इतिहास गवाह हैँ कि जो जो सच्चा प्यार किया हैँ वे आजतक एकदूसरे के साथ कभी भी नहीं मिल पाए हैँ उदाहरण के तौर पर हीर – रांझा, सोनी – महिबाल, रोमियो – जुलीयट, श्री – प्रहलाद और भी कई नाम हैँ या हो सकते हैँ कि जिन्होंने भी सच्ची मोहब्बत की हैँ वे सब आजतक नहीं मिल पाए हैँ अब बात आती हैँ कि कई लोग लव इज माइ लाइफ बोलते हुए अक्सर सुनाई देते हैँ तो मित्रवर प्यार अगर निभाना हो तो परिवार के साथ निभाए, दोस्तों के साथ निभाए, भाइयों के साथ निभाए या पड़ोसियों के साथ निभाए प्यार तो प्यार ही हैँ और उसका कोई भी मुकाबला नहीं हैँ वहीँ कुछ लोगों को पैसों से प्यार हैँ ये भी एक कटु सत्य ही हैँ क्योंकि पैसों से आप प्यार को नहीं खरीद सकते हैँ क्योंकि प्यार तो वो चीज हैँ जो कि एक इंसान को दूसरे इंसान की आँखों में ही दिखाई दे जाता हैँ जबकि आज की यह युवा पीढ़ी प्यार का मतलब को कुछ और ही मानकर चलती हैँ उनकी नजरों में प्यार बोलकर कोई शब्द ही नहीं ऐसा उनलोगों को लगता हैँ या प्रतीत होता हैँ किन्तु अगर सच पूछा जाए तो आज के इस यूथ को केवल अपनी ही चिंता रहती हैँ इन्हें तो ना ही अपने सगे सम्बन्धियों की चिंता होती हैँ और ना ही अपने रिश्तेदारों की ये लोग कहीं ना कहीं प्यार के उस शगुफा के इंतज़ार में रहते हैँ जो की कभी भी इनलोगों का नहीं हो सकता हैँ तभी तो आज की शादीशुदा युवा पीढ़ी लिखती हैँ =माइ वाइफ इज माइ लाइफ = और तो और लव के उस कड़वी सच्चाई को जो इंसान आजतक नहीं समझ सका हो उनसे बड़ा मुर्ख दुनिया में दूसरा कोई और हो नहीं सकता हैँ क्योंकि जीवन का प्यार ही आपके जीवन का सार हैँ जो की एक जीवंत सच्चाई भी हैँ और जो इंसान इस कड़वी सच्चाई को समझ गया हैं उसका जीवन ही आगे चलकर धन्य हो जाता हैँ क्योंकि जीवन का एक सत्य वचन यह भी हैँ कि, अपने लिए तो सभी जीते हैँ और जो जीते जी दूसरों के लिए जिए तो बात कुछ और ही निराली हो जाती हैँ क्योंकि प्यार का मुलमंत्र भी यही हैँ और प्यार हैँ तो अपनापन हैँ और जहाँ अपनापन हैँ वहीँ प्यार हैँ,सभी को समर्पित,
अरुण कुमार लेखक सह पत्रकार
मंडे मॉर्निंग न्यूज़ नेटवर्क
( भागवत ग्रुप कारपोरेशन )

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