पुरस्कार वितरण समारोह में भारी मन से मेयर ने मैरेज हॉल बनाने की बात कही , बताई ये वजह
दिलकश नगर एजुकेशनल सोसायटी के वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह में पहुँचे थे मेयर
आसनसोल नगरनिगम के वार्ड संख्या 59 के दिलकश नगर एजुकेशनल सोसायटी के वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह एवं क्विज प्रतियोगिता में आसनसोल के मेयर सह टीएमसी जिलाध्यक्ष जितेन्द्र तिवारी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। आयोजकों की ओर से उन्हें सम्मानित किया गया।
इस मौके पर मेयर जितेन्द्र तिवारी ने कहा क पिछले वर्ष इस आयोजन में नहीं आ पाया था। यहाँ बच्चों के लिए कंपीटिटिव लाइब्रेरी का निर्माण कराया जायेगा। यहाँ एमआईसी मीर हासिम ने मैरेज हाल का अनुरोध किया, इसके लिए जमीन उपलब्ध कराने पर नगरनिगम मैरेज हॉल का निर्माण करायेगी।
कोई भी धर्म का मैरेज हॉल वाला अपना हॉल दूसरे धर्म के लोगों को किराये पर नहीं देते है
उन्होंने कहा कि यहाँ मैरेज हाल बनाने का निर्णय लेना काफी दर्द भरा रहा, क्योंकि मुझे बताया गया है कि कोई भी धर्म का मैरेज हॉल वाला अपना हॉल दूसरे धर्म के लोगों को किराये पर नहीं देते है, इस सोंच को कायम करने से समाज में बंटवारा बढेगा। अच्छा यह हुआ होता कि धर्म या मजहब के आधार पर हॉल देने के बजाय इसे व्यवसायिक दृष्टिकोण से देखा जाता।
एक भाई से दूसरे भाई से इतना बड़ा फासला है तो चांद पर पहुँचने का क्या फायदा ?
उन्होंने कहा कि हमलोग खुद को काफी विकसित हो गये कहते है और चांद पर पहुँचने की बात कहते हैं, लेकिन हम जहाँ रहते हैं वहाँ कि मिट्टी में एक भाई से दूसरे भाई से इतना बड़ा फासला है तो चांद पर पहुँचने का क्या फायदा ? इस फासले को दूर करने की जरूरत है। सिर्फ मैरेज हाल बनने से फासले दूर नहीं होंगे।
उन्होंने रौनक नईम की शायरी .. बहुत से पुल बने-बहुत से पुल बने, फासले भी मिटे पर आदमी, आदमी से जुदा ही रहा सुनाते हुए कहा कि एक कौम से दूसरे कौम के लोगों की जुदाई इस जुदाई को सच मान लेना इसके साथ ही जीने की आदत बना लेना यह भी अपने आप में एक अपराध है।
कौमी एकता के लिए सभी कोआगे आने की जरूरत है
उन्होंने कहा कि एक ओर बच्चों को शिक्षा मिले वहीं दूसरी ओर लोगों की समस्याओं का समाधान किया जाये, जिस कारण समाज में अभी भी बंटवारा है, कौम के आधार पर समाज को बाँटने का सिलसिला चला है, हम उसी को सच मान लिया है, किसी न किसी को इसे तोड़ना होगा, अगर तोड़ने का प्रयास नहीं करते हैं तो हमें इसे ही सच मान लेना होगा। सारे लोग कौमी एकता को लेकर बात करते हैं, लेकिन काम करने की बारी आती है तो हम पीछे हट जाते हैं। कौमी एकता को लेकर आगे आने की जरूरत है, पीछे हटने से नहीं होगा। समाज में फासला है उसे दूर करने के लिए आगे आना होगा, जात या धर्म के आधार पर समाज को बाँटने के बजाय एक छत के नीचे खुली हवा में सांस ले सकें, ऐसीव्यवस्था कायम करनी होगी।

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