मखदूम अशरफ जहाँगीर कछौछा शरीफ का 634 वा उर्स पाक के मौके पर शहर के धमना फतेहपुर खानका अशरफिया मैं सजाई गई दुवाओं की महफिल
मधुपुर 18 सितंबर। शहर के धमना फतेहपुर खानकाह अशरफी मैं अकीदत व एहतराम के साथ हजरत गोसुल आलम मखदूम अशरफ जहाँगीर कछौछा शरीफ का 634 वा उर्स ए पाक के मौके पर कोविड-19 के मद्दे नजर रखते हुए दुवाओं की महफिल सजाई गई। इस मौके पर सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए सैकड़ों लोग उपस्थित हुए और कोरोना महामारी से निजात पाने को लेकर दुआ की गई, साथ में मुल्क में अमन व सलामती के लिए भी दुआ की गई।
इस मौके पर हजरत मौलाना वजीर अहमद अशरफी .हजरत मौलाना मुस्लिम अख्तर शिवानी, हाजी सफीक, इसरार उल हक, कारी यूंगूस फैजी, इमरान अशरफी, सरफराज अशरफी. अल्ताफ हुसैन अशर्फी, इरशाद अशरफी, गुलाम अशरफ अशरफी, तमाम तरीकत सिलसिला ए असफिया के अलावा सैकड़ों लोग दुआया महफिल में शिरकत किए और मुल्क के अमन और शांति के लिए इजतमाई तोर पर दुआ की।
मौके पर हजरत मौलाना सूफी उज्जैर अहमद अशरफी ने सोफियाकराम की रूहानी शख्सियत पर जिक्र करते हुए कहा-सोफिया ए कराम ने अपनी रुहानी ताकत अपने किरदार अपनी गुप्तार इशार खलूसे मोहब्बत से जो इंकलाब लाया इसका असर हिंदुस्तानी तहजीब और इफकार व ख्यालात और शेरों अदब पर इस कदर पड़ा के इसका आसार और खदोखाल कई जमाने गुजर जाने के बाद आज भी उजागर है । सोफिया ए कराम रूहानी शख्सियत का मालिक होते हैं इनके खानकाहूँ मैं मजहब मिल्लत और रंग व नस्ल का भेदभाव नहीं होता इसलिए हर तरह के लोग इन के यहाँ बिना रुक टो क जॉक डर जाक आते हैं। सोफिया ए कराम सभी पर अपना रहमत की कर्म बरसाते हैं ।सिर्फ लोग ही उन के पास नहीं आते बल के बड़े से बड़े दौलत के मालिक शहंशाहे वतन अपने फरियाद लिए पहुँचते हैं सभी पर अपना रहमो करम का फैज फरमाते है! यही बुजुर्गों और सोफिया का कर्म होता है।
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