मैथन डैम में कभी शान और गौरव का प्रतीक रहे स्टीमरों पर चला बुलडोजर
कल्याणेश्वरी। मैथन डैम में कभी शान और गौरव का प्रतीक होती थी स्टीमर । 1960-70 के दशक में इस स्टीमर (बोट)की चारों और चर्चा होती थी।
[adv-in-content1]
यहाँ भ्रमण को आने वाले उस समय के नेता या अभिनेता, शायद ही कोई बाकी हो जिन्होंने इसपर सवार होकर मैथन डैम जलाशय में भ्रमण नहीं किया हो।
वक्त के साथ रख_रखाव की अभाव में डीवीसी प्रबंधन ने बोट को धरोहर बना दिया था और इन स्टीमरों के स्थान छोटे-छोटे नाव और मोटर बोट ने ले लिया । गुरुवार को डीवीसी प्रबंधन द्वारा जेसीबी लगा कर उस बचे अवशेष को भी तोड़ दिया गया।
इस संदर्भ में मुख्य अभियंता (असैनिक) सत्यब्रत बनर्जी से दूरभाष पर वार्ता करने पर उन्होंने बताया कि यह स्टीमर पूर्ण रूप से सड़ चुका था, मरम्मत करने के बाद भी वो चलेगा नहीं । मजूमदार निवास में कुछ पिल्लरिंग,आदी का कार्य करना है। जिसके लिए आवश्यक मसिंनरीज ले जाने के लिए जगह नहीं हो पा रहा था इसलिए पूरी तरह से सड़ चुके स्टीमर को तोड़ गया और नीचे वाले जगह पर वाहनों के गैराज का निर्माण कराया जाएगा ताकि सड़क पर जो वाहन खड़ा करना पड़ता है, गैराज में खड़ा किया जा सके ।
अभी डैम में पानी कम होने के कारण मशीनरीज़ को मजूमदार निवास ले जाना ज्यादा आसान है ।
अपने आस-पास की ताजा खबर हमें देने के लिए यहाँ क्लिक करें
Copyright protected
झारखण्ड न्यूज़ की महत्वपूर्ण खबरें
Quick View