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जीयो और जीने दो के संदेश से गूंजा रूपनारायणपुर मिहिजाम
जामताड़ा ब्यूरो। जैन समाज के लोगों ने बुधवार को पूरे हर्षोल्लास एवं धूमधाम से महावीर जयंती मनाई। नगर के दिगम्बर जैन मंदिर में सुबह सबसे पहले विशेष पूजा अर्चना की गई। इसके बाद 7ः30 बजे से लेकर 10 बजे तक पूजा के उपरांत नगर में शोभायात्रा यहित पालकी यात्रा बैंड बाजे के साथ निकाली गई। शहर में निकाली गई मनोहारी झांकी में महावीरी झंडा तथा भगवान महावीर के संदेशों को उजागर करता तख्तियों को लेकर महिलायें कतारवद्ध होकर भगवान महावीर के जयकारों के साथ शामिल हुईं। जैन समाज के लोगों ने इंद्रवेष में पालकी उठाई।
शोभायात्रा में रोड से निकलकर चित्तरंजन स्टेशन रोड होते हुए मस्जिद रोड से निकलकर पुनः में रोड आया फिर में रोड से रेलपार होते हुए वापस जैन मंदिर प्रांगण में पहुँचा। शोभायात्रा में बड़ी संख्या में जैन समाज नेतृत्व देने वाले लोगों में अनिल जैन काशिववाल, विनय कुमार जैन, मनोज जैन छावड़ा, चंचल जैन, शेखर चंद्रजैन, अशोक जैन, लतादेवी जैन, बबलू जैन आदि के साथ मिहिजाम नगर अध्यक्ष कमल गुप्ता, शांति देवी, बालमुकुन्द दास, थाना प्रभारी गयानन्द यादव, अरूण दास, दानिश रहमान मुख्य रूप से शामिल हुए।
जामताड़ा विधायक डॉ. इरफान अंसारी एवं मिहिजाम के समाजसेवी रजाउल रहमान भी विशेष रूप से मंदिर पहुँचकर पूजा अर्चना में हिस्सा लिया। मौके पर विधायक ने आपसी भाईचारे और सौहार्द का संदेश देते हुए भगवान महावीर के जियो और जीने दो के संदेश को आत्मसात कर आगे बढ़ने के लिए लोगों को प्रेरित किया। मिहिजाम में रोड में जैन समाज के लोगों ने पालकी पर फूल बरसा कर पालकी का स्वागत किया। प्रसाद ग्रहण किया। रात्रि में जैन संप्रदाय के लोगों ने मंदिर में भजन आरती की ओर भगवान महावीर स्वामी का पालना झुलाया।
भगवान महावीर के आदर्श एवं सिद्धान्तों को अपने जीवन में कितना उतार सके हैं ……?
भगवान महावीर के आदर्श एवं सिद्धान्तों को अपने जीवन में कितना उतार सके हैं के सवाल पर बोलते जैन समाज महिला मंडल की लता देवी जैन ने कहा कि कलयुग के अंत तक भगवान महावीर का शासनकाल चलेगा। अब हमारे और कोई तीर्थंकर आने वाले नहीं हैं। इसलिए हर साल चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दिन हमलोग इनकी जयंति धूमधाम से मनाते हैं। उनके आर्दश और सिद्धान्त को हम अपने जीवन में भरसक प्रयास करते हैं।
हमारे तीर्थंकर वैभवशाली परिवार में ही जन्म लेते हैं। वे स्वर्ग से आते हैं। अहिंसा परम धर्म पर चलते हुए विकास सम्भव हैं। किसी को मारने का अधिकार हमारे पास नहीं है। जब सब शांत हो जाता है तभी निर्णय लेना संभव होता है तो फिर हिंसा कैसे।
हमारा देश भगवान महावीर के आदर्शों एवं सिद्धान्तों पर चलते आया है। अशोक जैन ने कहा कि हम रोज मंदिर आकर भगवान महावीर की प्रार्थना करते हैं और सत पथ पर चलने की कोशिश करते हैं। उन्होंने ही अहिंसा परमो धर्म का संदेश दुनिया भर में फैलाया। जैन धर्म के अनुयायी मानते हैं कि बर्द्धमान ने 12 वर्षों की कठोर तप कर अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ली थी।
80 वर्षीय शेखर चन्द्र जैन ने कहा कि भगवान महावीर के आर्दश हमारे रग-रग में फैला है। हम भोग विलासिता से दूर रहते हैं। प्रतिदिन सुबह लगभग 6 किलोमीटर पैदल चलते हैं जिसके कारण हमारा स्वास्थ्य आज भी अच्छा है। किसी से स्वार्थमत रखिये और ईश्वर पर भरोसा रखें तो आपका भला होगा। मैंने अपने जीवन में ऐसा ही पाया है।
मनोज जैन छावड़ा ने कहा कि बैंड बाजा बजाकर, आभूषण और सुदंर वस्त्र पहनकर सिर्फ प्रदर्शन के लिए महावीर जयंति मनाने से भला होने वाला नहीं है बल्कि त्याग का प्रदर्शन करने से भला होगा। हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील और परिग्रह इन पाँचों पापों का त्याग करना चाहिए। तभी सही अर्थ में भगवान महावीर की जयंति सार्थक होगी।
दिगम्बर जैन समाज के उपमंत्री तथा मिहिजाम चैंबर्स ऑफ कामर्स के सचिव विनय कुमार जैन ने कहा कि हमारे धर्म में हिंसा सबसे पहले वर्जित है। जैन धर्म में अनेक सिद्धान्तों में अहिंसा पालन की दृष्टि से रात्रि भोजन का त्याग और जल छानकर पीने का वैज्ञानिक तरीका भी बताया गया है क्योंकि उसमें जीव हिंसा के बचाव के साथ-साथ स्वास्थ्य लाभ भी होता है। जिसका हम पालन कर रहे हैं। अगर इसका पालन युवावस्था से ही किया जाय तो लोग स्वस्थ्य रहेंगे।
रतन बुक स्टोर के संचालक चंचल जैन ने कहा कि भगवान महावीर से हमने यही सीखा है कि प्रकृति से उतना ही लें जितना जरूरत है। चोरी और लोभ न करें। धन, धान्य मकान आदि वस्तुओं का जीवन भर के लिए परिमाण कर लेना, आवश्यकता से अधिक वस्तुओं का संग्रह नहीं करना।
अनिल जैन काशिवाल ने कहा कि जैन धर्म के लोग महावीर जयंती को बहुत धुमधाम और व्यापक स्तर पर मनाते हैं। मगवान महावीर ने हमेशा से ही दुनिया को अहिंसा और अपरिग्रह का संदिश दिया है। उन्होंने जीवों से प्रेम और प्रकृति के नजदीक रहने को कहा है। जिसका पालन करने की कोशिश हम करते हैं।
नीरू जैन ने कहा कि जैनधर्म के शाश्वत नियमानुसार तीर्थंकर महावीर ने प्राणीमात्र के कल्याण हेतु अनेक अमूल्य सिद्धान्त जैसे प्राणिमात्र के प्रति दया की भावना, अधिक वस्तुओं का संग्रह न करना। प्रत्येक जीवों में भगवान की आत्मा है। चौरासी लाख योनियों में भ्रमण करते हुए प्राणियों के लिए मात्र धर्म ही सहारा है। जिसका हम पालन करने का प्रयास करते हैं।
दिगम्बर जैन समाज ने कराया संत भवन का निर्माण, धर्मशाला का भी निर्माण जारी
मिहिजाम। दिगम्बर जैन समाज के महामंत्री अनिल जैन काश्विल ने बताया कि मंदिर के पीछे भव्य संत भवन का निर्माण करा लिया गया है जिसका जल्द ही लोकार्पण किया जाएगा। साथ ही भव्य धर्मशाला का निर्माण कार्य भी जारी है। हमारे संत जैन साधु जहाँ भी जाते हैं पैदल यात्रा से ही जाते हैं। कहीं बाहर के होटल में न खाना खाते हैं और न विश्राम करते हैं। इसलिए उनके ठहराव एवं भोजन आदि की व्यवस्था के लिए ही संत भवन का निर्माण कराया गया है। जबकि हमारे समाज के लोगों के शादी विवाह एवं अन्य आयोजनों के लिए धर्मशाला का निर्माण कार्य चल रहा है।
बुधवार को वहीं मिहिजाम के व्यवसायी सह समाजसेवी रजाउल रहमान ने भी संत भवन एवं निर्माणरत धर्मशाला स्थल पर पहुँचकर अपनी खुशी जाहिर की। कहा कि जैन समाज के लोग मिहिजाम में एकता एवं भाईचारे का संदेश देते हुए इतने बड़े भवन का निर्माण करने में सक्षम हैं तथा अनुष्ठान का आयोजन कर पा रहे हैं।
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