मधुपुर बैंक डकैती का पर्दाफाश: बिहार के वैशाली से 11 अपराधी दबोचे गए; 5.50 लाख, पिस्टल और स्कोडा कार बरामद
मधुपुर/देवघर (झारखंड): देवघर पुलिस ने अपनी त्वरित और तकनीकी कार्रवाई से एक बड़ी सफलता हासिल की है। मधुपुर थाना क्षेत्र के राजबाड़ी रोड स्थित एचडीएफसी बैंक में दिनांक 22 सितंबर 2025 को दोपहर लगभग 12:45 बजे हुई सनसनीखेज डकैती का देवघर पुलिस ने खुलासा कर दिया है। पुलिस ने इस मामले में एक संगठित गिरोह के ग्यारह (11) शातिर अपराधकर्मियों को गिरफ्तार किया है।
त्वरित कार्रवाई और बहुराज्यीय छापामारी
डकैती की घटना के बाद देवघर पुलिस प्रशासन तुरंत एक्शन मोड में आ गया। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी (सदर/सारठ/मधुपुर) और पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) के नेतृत्व में चार विशेष छापामारी दलों का गठन किया गया। इन टीमों ने लगातार कई दिनों तक सघन अभियान चलाया, जिसका विस्तार झारखंड के साथ-साथ बिहार और अन्य राज्यों तक था। तकनीकी और मानवीय साक्ष्यों के आधार पर की गई इस समन्वित कार्रवाई के परिणामस्वरूप, बैंक डकैती कांड में शामिल मुख्य अपराधियों को पकड़ लिया गया।
गिरफ्तार अपराधियों की पहचान उजागर
पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए सभी 11 अपराधी बिहार के वैशाली जिले के रहने वाले हैं और एक संगठित आपराधिक गिरोह से जुड़े हुए हैं। गिरफ्तार अपराधियों में विकास कुमार (26 वर्ष), सन्नी सिंह उर्फ सूरज कुमार सिंह, गौतम कुमार (27 वर्ष), अन्नू सिंह उर्फ राहुल सिंह, आकाश कुमार (30 वर्ष), सोनू कुमार (20 वर्ष), इन्द्रजीत उर्फ कुन्दन सिंह (29 वर्ष), रोहित कुमार (25 वर्ष), आनंद राज उर्फ टुकटुक (19 वर्ष), रितेश कुमार उर्फ छोटू (19 वर्ष) और विशाल कुमार सिंह (29 वर्ष) शामिल हैं। ये सभी वैशाली जिले के बिदुपुर, सदर, नगर हाजीपुर और देसरी जैसे विभिन्न थाना क्षेत्रों के निवासी हैं।
बरामदगी सूची: नकदी, हथियार और वाहन
पुलिस ने अपराधियों के पास से डकैती में प्रयुक्त और लूटी गई कई अहम चीजें बरामद की हैं, जो इस प्रकार हैं:
नकदी: पाँच लाख पचास हजार रुपये (5,50,000)
हथियार: एक देशी पिस्टल और दो जिंदा कारतूस (7.65 मिमी)
वाहन: घटना में इस्तेमाल की गई एक स्कोडा चारपहिया वाहन
अन्य सामान: दस मोबाइल फोन, एक नकाब और दो एटीएम कार्ड।
तकनीक से अपराधी हुए बेनकाब
पुलिस ने डकैती कांड के उद्भेदन में अत्याधुनिक तकनीकी साधनों का उपयोग किया। बैंक और आसपास के क्षेत्रों के सीसीटीवी फुटेज का गहन विश्लेषण किया गया। इसके अतिरिक्त, मोबाइल लोकेशन ट्रैकिंग और इंटरसेप्टेड कॉल डिटेल्स ने अपराधियों के ठिकानों तक पहुँचने में निर्णायक भूमिका निभाई।
अंतरराज्यीय गिरोह का आपराधिक इतिहास
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि यह गिरोह सुनियोजित तरीके से वारदात को अंजाम देता था और इन अपराधियों का पहले भी लूट, चोरी और हथियारबंदी के मामलों में संलिप्तता का इतिहास रहा है। पुलिस को यह भी संदेह है कि इस गिरोह ने अन्य बैंकों और एटीएम में भी रेकी की थी। इसके मद्देनजर, देवघर पुलिस अब इस संगठित गिरोह के राज्यव्यापी नेटवर्क और अन्य संभावित अपराधों की गहराई से जांच कर रही है ताकि इस पूरे आपराधिक तंत्र को ध्वस्त किया जा सके।

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