प्रत्येक वर्षों की तरह इस वर्ष भी सीताराम जी बाबा का परम शिष्य शत्रुघ्न महाराज जी आये रानीगंज
रानीगंज। प्रत्येक वर्षों की तरह इस वर्ष भी सीताराम जी बाबा का परम शिष्य शत्रुघ्न महाराज जी इस वर्ष भी मकर सक्रांति के उपलक्ष्य पर रानीगंज आए । आर आर रोड शिव एवं काली मंदिर में विदाई के दरमियान कहा कि साधु प्रवृत्ति किसी भी स्थान पर जमे रहना नहीं होता है। वह अपना जीवन सनातन धर्म के लिए समर्पित कर देता है।
सनातन धर्म में गुरुओं का लिए एक अपना स्थान है। गुरु धर्म का निर्वाह करने की प्रवृत्ति आज भी व्याप्त है। आज जिस रूप से पिछले 2 वर्षों से कोरोना महामारी ने अपना आतंक मचाया है । किसी न किसी रूप में हर कोई इस महामारी के चपेट में आए। अब उसके समाप्ति का समय आ चुका है। यह महामारी अंतिम दौर से गुजर रही है। हमारे यहाँ जप, तप, हवन ,पूजा, अर्चना, आरती का महत्त्व रहा है ।इसके पीछे एक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इससे वातावरण शुद्ध होता है ।अर्थात प्रदूषण मुक्त होता है। आज जिस वायरस की बात कही जा रही है । ऐसे हवन पूजन से कोसों दूर भागता है। हम भौतिकवादी हो गए, जिस का ही परिणाम आज हमें देखने को मिली है।
आज हम लोग उस परंपरा को भूल रहे हैं। फल स्वरुप यह स्थिति देखने को मिली है लेकिन साधु समाज अपने कर्तव्यों का निर्वाह में लगे हैं ।उनकी ओर से अपने सनातन धर्म को बचाने के लिए विश्व कल्याण के लिए नियंत्रण अपने तब जब पूजा को कर रहे हैं। आप सभी भी ऐसे महान कार्यों में सहयोग करें ।अपने घर में ही हवन पूजन करे वातावरण को शुद्ध रखें। स्वामी जी बिहार के साहिबगंज के मठ प्रमुख है। यहाँ से वह बनारस इलाहाबाद और हरिद्वार होते हुए फिर वह अपने मठ में लौटेंगे। वह प्रत्येक वर्ष पहला जनवरी को रानीगंज आते हैं और मकर सक्रांति के ऊपरांत लौटते हैं इसके पहले उनके गुरु सीताराम जी बाबा यहाँ आते रहे हैं।

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