झरिया, रमजान के पवित्र महीने में नेत्रहिन हाफिजे कुरान के पीछे सात दिन की तराविह पढ़ने को लेकर रोजेदारों की भारी उमड़ी भीड़
*नेत्रहीन हाफ़िज़े कुरान के पीछे सात दिन की तरावीह पढ़ने को लेकर उमड़ी भीड़*
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झरिया । रमज़ान के पवित्र महीने में रोजेदारों द्वारा तरावीह पढ़ी जाती है। इस बार नेत्रहीन हाफ़िज़े कुरान मोहम्मद सुल्तान के पीछे तरावीह पढ़ने को लेकर क्षेत्र के डिगवडीह, पाथरडीह, लेयाबाद, भौरा, झरिया, फुसबंगला आदि जगहों से रोजेदार पहुँच रहे है। उनकी कुरान पढ़ने की स्पीड एवं सही तलफ्फुज को देखते हुए लोगो के जुबान पर उनका नाम आ रहा है। नेत्रहीन हाफ़िज़े कुरान मोहम्मद सुल्तान बिहार जमुई चकई के रहने वाले है। जन्म से ही उनकी आँख की रोशनी नहीं है, उन्होने सूनकर पूरे कुरान को याद किया। कुरान ए पाक को एफ करने में उ को 6 वर्ष का समय लगा। इस दौरान उनके घर वाले ने भी बखूबी मदद किया। वे 16 वर्षो से जामाडोबा ब्राइट स्कूल में तरावीह पढ़ा रहे है। जामाडोबा बाज़ार में 27 वर्षो से हो रही सात दिन की तराबीह है। प्रत्येक वर्ष जामाडोबा बाजार की तरफ से ये तरावीह का आयोजन किया जाता है । ख़ास बात यह है की जब से नेत्रहीन हाफिज साहब ने यहाँ तरावीह पढ़ाना शुरू क्या है, तब से तरावीह पढ़ाने की जिम्मेदारी उन्ही को दी गई है । पहले तरावीह पढ़ने वालो की संख्या काफी कम हुआ करती थी, परंतु जब से ये तरावीह पढ़ाने लगे लोगो की भीड़ उमड़ रही है। इस तरावीह की सारी इंतजाम जामाडोबा बाजार के लोग करते है। सैट की तरावीह का कल आखिरी दिन था। तरावीह समाप्त होने के बाद काफी संख्या में लोग नेत्रहीन हाफ़िज़े कुरान मोहम्मद सुल्तान से मिलने पहुँचे तथा माला पहनाकर मोबारक दिया। तरावीह आयोजनकर्ता में मुख्य रूप से आरिफ सिद्दीकी, मो इमरान आलम, मो मन्नू, मो शमीम अंसारी, मो ताज्जु, मो उमर अंसारी, मो मुर्शिद अंसारी, मो वसीम, मो इबरार आदि थे।
संवाददाता, राकेश सिंह

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