(पानी बिन सुनी झरिया की सड़कें ) “झरिया की सड़कें पानी को तरस रही हैँ “
मुद्दा —— कहते हैँ ना की ” माया मिली ना राम ” यह कहावत आज झरिया विधानसभा में फ़ीट व सटीक बैठ रही हैँ चुकि यहाँ के जनप्रतिनिधि के द्वारा भी मानो मौन व्रत रख लिया गया हैँ जबकि चुनावी माहौल में यही सड़क का मुद्दा मानो एकमात्र मुद्दा इन नेताओं का रहा हो तथापि आज यह मुद्दा मुद्दाविहीन हो चूका हैँ जी हाँ हम बात कर रहे हैँ शिमलाबहाल वाया बोर्रागढ़ वाया होरलाडीह वाया प्योर बोर्रागढ़ की तमाम सड़कें आज चलने लायक नहीं बची हैँ किया इसी दिन के लिए लोगों ने अच्छे दिन की उम्मीद पाले बैठी थी कोई भी जनप्रतिनिधि इस क्षेत्र की सुध लेने को आतुर नहीं दिखाई दे रहे हैँ जबकि युवाओं के नियोजन का मुद्दा तो कोशों दूर हैँ ये जनप्रतिनिधि अपने अपने क्षेत्रों का भ्रमण भी नहीं करते हैँ वहीँ चुनावों में एक एक दिन में कई कई किलोमीटर पैदल नाप देते हैँ और जनता से किए गए वायदों को भुलाकर केवल राजनीती करने लग जाते हैँ वैसे समस्या इतनी भी जटिल नहीं हैँ कि वे सही नहीं होंगी किन्तु इच्छाशक्ति के आभाव में वो प्रभाव दिखाई नहीं देता हैँ यही कड़वा सच हैँ इसमें आम जनता का किया दोष हैँ जो कि प्रतिदिन जनप्रतिनिधि को कोस रहे हैं कि अब तो इनका कोई सुध ले जिससे की इनकी परेशानी कुछ हद तक दूर हो

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