दिवालिया और भगोड़े कम्पनियों के हाथ चला जायेगा कोयला उद्योग
कोयला उद्योग और श्रमिकों पर संकट के बादल
नियामतपुर -केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय कोयला उद्योग को निजीकरण किये जाने के विरोध में सोमवार को ईसीएल सोदपुर वर्कशॉप के समक्ष संयुक्त सलाहकार समिति (जैक) द्वारा एक सभा आयोजित की गई। जहाँ सभी केंद्रीय श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार की नई आर्थिक नीति से कोयला उद्योग और इसमें कार्यरत श्रमिकों पर संकट के बादल मंडरा रहे है, जिसे रोकने के लिए पाँच केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने आगामी 14 अप्रैल को कोयला क्षेत्र में देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है, जिसमें सभी श्रमिक शामिल होकर इस हड़ताल को सफल करे, ताकि केंद्र में बैठी मोदी सरकार को हम श्रमिकों की ताकत का अंदाज हो सके और वे सोचने पर मजबूर हो जाए कि यदि कोयला उद्योग का निजीकरण नहीं रोका गया तो उनकी सत्ता धरातल पर आ सकती है।
देशी व विदेशी संस्थायें बेरोक-टोक कोयला बिक्री करेंगे
वक्ताओं ने कहा कि बीते 19 फ़रवरी को केंद्रीय मंत्री सभा (आर्थिक नीति सम्बंधित समिति) ने निर्णय लिया कि देशी व विदेशी संस्थाओं को बेरोक-टोक के कोयला खनन, मूल्य निर्धारण व व्यावसायिक मकसद से बिक्री करने की अनुमति दी जाये। जबकि पहले निजी बिजली, सीमेंट कंपनियाँ अपने निजी आवश्यकता के अनुसार खनन करती थी। कहा कि वर्ष 2014 से 18 तक लगातार देश के राष्ट्रीय कोयला उद्योग को विभिन्न प्रकार से निजी मालिकों के अधीन कोयला खदान व जमा कोयला देकर, अवैज्ञानिक रूप से कोयला उत्पादन तथा सुरक्षा सम्बन्धी नियमों को अनदेखा कर व भीषण रूप से श्रमिकों के शोषण का मौका देते हुए निजी मालिकों को व्यापक रूप से मुनाफा कमाने का रास्ता तैयार किया जा रहा है।
केंद्र सरकार निजी मालिकों को कोयला लुटने का अवसर दे रही है
दिवालिया हो चुके देशी व विदेशी कंपनियों और देशी बैंकों द्वारा जनता का रुपया डकारने वाले पूंजीपतियों को देश के कोयला भंडार को लूटने का अवसर प्रदान करके व कोयला श्रमिकों का शोषण करने का अधिकार देकर वर्तमान केंद्र सरकार कौन सा देश हित और देशप्रेम की बात कर रही है। वक्ताओं ने कहा कि आज कोयला उद्योग घोर संकट से गुजर रहा है इसम सभी का साथ चाहिए, ईसीएल अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि सर यदि निजीकरण हुआ तो शोषण आपका भी होगा, आपको भी क्वार्टर से निकाल दिया जायेगा और सारी सुविधाओ से आपलोग भी वंचित हो जाएँगे, इसलिए इस हड़ताल को हमसभी मिलकर सफल बनाये।
श्रमिक हित में सभी हड़ताल में शामिल हो
उन्होंने कहा कि जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तो इंटक ने श्रमिक हित में विरोध किया था, बंगाल में माकपा की शासनकाल में माकपा श्रमिक संगठनों श्रमिकों के लिए अपनी ही पार्टी के विरुद्ध मोर्चा खोला था और आज केंद्र में जब भाजपा की सरकार है तो बीएमएस भी भाजपा सरकार का विरोध कर रही, यानी हम श्रमिक संगठन है ना की राजनीतिक पार्टी, इसलिए जब जब श्रमिकों पर अत्याचार होगा, उनका शोषण होगा और कोयला उद्योग खतरे में होगा तो सभी मिलकर विरोध करेंगे और तब तक संघर्ष करेंगे जबतक श्रमिकों का हक़ ना मिल जाए। इस दौरान सीटू के रोमेन सेन, गोपाल चटर्जी, शुदर्शन प्रसाद, बीएमएस के गोविन्दो माजी, एचएमएस के मोoमुख़्तार, यूटीयूसी के जीतेन मंडल, बलराम पासवान, एएफटीयूसी के जानकी प्रसाद साव आदि शामिल थे।

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