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गोल्डेन गर्ल तीरंदाज ममता टुडू की मदद को आगे आए भारतीय जनतंत्र मोर्चा के नेता रमेश पांडेय

धनबाद जिला मुख्यालय के तेलीपाड़ा, संथाल टोला दामोदरपुर में रहने वाली ममता टुडू के हौसले की राह में गरीबी को आड़े नहीं आने दिया जाएगा। गोल्डेन गर्ल ममता को हर संभव मदद दिया जाएगा। उक्त बातें भारतीय जनतंत्र मोर्चा के प्रदेश स्तरीय नेता सह प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता रमेश पांडेय ने कही। रविवार को रमेश पांडेय तीरंदाज गोल्डेन गर्ल ममता टुडू से उसके आवास पर जाकर मुलाकात किए। उन्होंने ममता को 11 हजार रुपये का सहयोग तत्काल दिया। ममता ने रमेश पांडेय को आश्वस्त किया है कि आज के बाद वह झाल मुरी नहीं बेचेगी। ममता ने रमेश से रोजगार दिलाने की बात कही जिसपर भाजमो नेता रमेश पांडेय ने आश्वस्त कराया कि वे जल्द ही ममता को कहीं नियोजन की व्यवस्था सुनिश्चित कराएंगे। रमेश पांडेय ने ममता को भरोसा दिलाया कि वे हर संभव उसकी मदद करेंगे। उन्होंने कहा, जिन हाथों में देश के लिए कोहिनूर जितने का सपना था वो सपना जरूर पूरा होगा। रमेश पांंडेय ने तीरंदाजी की प्रैक्टिस के लिए आधुनिक धनुष समेत आर्थिक सहायता करने का भी भरोसा दिलाया।

इस दौरान रमेश पांडेय ने मीडिया से कहा कि धनबाद के दर्जनों तीरंदाज सरकार की उदासीनता के कारण दूसरे जिले या राज्य में पलायन करने को मजबूर हैं या आर्थिक तंगी से बदहाली की जिंदगी जी रहे हैं। विडंबना यह है कि झारखंड में सरकार की ओर से कोई मदद खिलाड़ियों को नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि धनबाद समेत झारखंड के विभिन्न जिलों में प्रतिभावान खिलाड़ियों का भंडार है। जरूरत है पहचान कर उसे मार्गदर्शन व मदद के साथ एक्यूमेंट प्रबंधन की। रमेश पांडेय ने कहा-मीडिया के माध्यम से उन्हें जानकारी मिली कि तीरंदाजी की नेशनल चैम्पियन ममता, झालमुड़ी बेचने को मजबूर है। यह जानकर उन्होंने ममता से मिलने का फैसला किया।

बता दें कि धनबाद तेलीपाड़ा, संथाल टोला दामोदरपुर में रहने वाली ममता टुडू ने बचपन में पिता की तीर-धनुष से ही तीरंदाजी शुरू की। देखते ही देखते उसने इस कला में महारथ हासिल कर ली। मेहनत करते हुए ममता ने कीर्तिमान रच दिया, 2009 में विजयवाड़ा में हुए नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। तब परिवार का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। इसके बाद ममता रांची में रहकर प्रैक्टिस करने लगी। इसका सपना अब देश के लिए गोल्ड जीतने का था लेकिन जब लॉकडाउन लगा और ममता घर लौटी तो देखा पूरे परिवार पर रोटी की आफत है। परिवार के दर्द ने ममता को तोड़ दिया। इसके बाद वह यहीं रहने लगी और झालमुढ़ी बेचकर परिवार की आर्थिक स्थिति में सहयोग करने लगी। मौके पर संतौष कुमार, रोहित शर्मा, कमल किशोर तिवारी, विवेक पांडेय, राजेश ओझा थे।

Last updated: फ़रवरी 28th, 2021 by Arun Kumar
Arun Kumar
Bureau Chief, Jharia (Dhanbad, Jharkhand)
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