लॉकडाउन में भी भाटडीह दामोदर नदी किनारे से कोयले का अवैध उत्खनन कर अवैध तस्करी का खेल धड़ल्ले से जारी
महुदा। एक तरफ जहाँ इस लॉकडाउन में कोरोना के प्रकोप से लोग त्राहि-त्राहि कर रहे हैं, लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है, इन दिनों लॉकडाउन में सुनसान सड़कों पर कोयला चोरों का राज चल रहा है। बताया जाता है कि जिले के बाघमारा प्रखंड अंतर्गत भाटडीह ओपी क्षेत्र में दामोदर नदी किनारे इन दिनों अवैध कोयला तस्करों का राज बना हुआ है ।
अवैध कोयला तस्करों द्वारा गरीब ग्रामीण मजदूरों को बहला फुसला कर कोयला के अवैध उत्खनन सुरंग में पैसे के लालच देकर घुसने को मजबूर कर देते हैं। सुरंग में बोकारो जिला एवं धनबाद जिला के अलग-अलग स्थानों के मजदूर सैकड़ों की संख्या में सुरंग के अंदर काम करते हैं दिनभर खनन कार्य करने के बाद कोयला तस्करों द्वारा मजदूरी के नाम पर 200 रुपए देकर चले जाने को कहा जाता है। छुट मैया नेता एवं खनन विभाग के लोग पुलिस प्रशासन, और बीसीसीएल के अधिकारियों को कोयला तस्कर द्वारा एक मोटी रकम देकर बेधड़क इस धंधा को चालू रखे हुए हैं ।
बताया जाता है कि प्रत्येक 2 दिन बाद भाटडीह दामोदर किनारे, और नागदा एवं अन्य स्थानों से मध्य रात्रि को गाड़ी लगा कर सैकड़ों टन कोयला को अर्ध निर्मित हीरक रोड के रास्ते अनियंत्रित अवैध कोयला को भेजा जाता है, एवं इस धंधे में महुदा थाना क्षेत्र का एक व्यक्ति जो इस कोयला के धंधे में संलिप्त है साथ ही भाटडीह क्षेत्र निवासी की मिलीभगत से आज भी कोयला तस्करी जारी है ।
जब इस तथ्य की जानकारी के लिए संवाददाता दामोदर नदी में उतरे और खनन चल रहे स्थान पर पहुँचने पर कुछ मजदूरों से मुलाकात हुई जिसने अखबार में नाम नहीं छापने के शर्त में कहा कि हम लोग सिर्फ अपने पेट की आग बुझाने के लिए यहाँ पर खनन कार्य कर रहे हैं, हम लोग नहीं बता पाएंगे यह कोयला कब और किस किस के माध्यम से जाता है लेकिन हम लोग यहाँ सुरंग में घुसकर काम करते हैं इसके एवज में हमें प्रत्येक पाली के हिसाब से प्रति आदमी 200 रुपया मिल जाता है, जिससे हमारे छोटे छोटे बच्चों को इस लॉकडाउन में दो वक्त की रोटी जुगाड़ हो जाता है ।
ज्ञात हो कि दामोदर नदी के किनारे वर्षों से अवैध उत्खनन चलता आ रहा है और क्षेत्र के मुरलीडीह, पावर हाउस, भाटडीह, 7 नम्बर गोलाई, नागदा अन्य स्थानों में सैकड़ों अवैध खनन बना हुआ है जिसमें आए दिन दिखावे के लिए पुलिस प्रशासन एवं बीसीसीएल प्रबंधक द्वारा मिट्टी मुहाने पर भर देते हैं। फिर कुछ दिन बाद कोयला के अवैध तस्कर करने वाले लोग उसी स्थान से कोयले का तस्करी का खेल शुरू कर देता है।
बताया जाता है कि इस धंधे में इतनी कमाई है कि ऊपर से लेकर नीचे तक सबको एक मोटी रकम बंधी हुई। जिसके कारण आज तक कोयला तस्करों के ऊपर प्रशासन द्वारा किसी तरह का कार्यवाही नहीं करना जाँच का विषय है। ज्ञात हो कि एक तरफ गरीब मजदूर खदान में अवैध खनन में दबने से मौत का डर बना हुआ है और इसमें यदि किसी तरह से अवैध उत्खनन का सुरंग दब जाती है तो इसका भनक भी किसी को नहीं लगता है। परिवार वाले भी चुप रहते हैं ताकि चोरी का कलंक उनके परिवार को ना लगे।
बताया जाता है कि अवैध उत्खनन से बीसीसीएल और सरकार को करोड़ों रुपए की छती हो रही है यदि इस पर जल्द से जल्द रोक नहीं लगाया गया तो आने वाले दिनों में अवैध उत्खनन में लगे मजदूरों को के ऊपर दुर्घटना घटित हो सकती है। उस समय पुलिस प्रशासन बीसीसीएल प्रशासन, खनन विभाग के लोग एक दूसरे को दोष देने के सिवा और कुछ नहीं कर सकते हे।

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