जल है तो कल है जल बचाओ, जीवन बचाओ -मुकुंद साव
यह निर्विवाद सत्य है कि सभी जीवित प्राणियों की उत्पति जल में हुई है। वैज्ञानिक अब पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों पर पहले पानी की खोज की प्राथमिकता देते है, पानी के बिना जीवन जीवित ही नही रहेगा, इसी कारणवश अधिकांश संस्कृतियां नदी के पानी के किनारे ही विकसित हुई है। इस प्रकार जल ही जीवन है का अर्थ सार्थक है, उक्त बातें आज एक गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि जल संरक्षण प्रतिष्ठान के हजारीबाग जिला संयोजक सह सांसद प्रतिनिधि मुकुंद साव ने कहा, उन्होंने कहा कि दुनिया में 99%पानी महासागरों ,नदियों,झीलों, झरनों आदि के अनुरूप है, केवल 1% या इससे भी कम पानी पीने के लिए उपयुक्त है, हालांकि पानी की बचत आज की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है, केवल पानी की कमी पानी के अनावश्यक उपयोग के कारण है, बढ़ती आबादी और ईसके परिणाम स्वरूप पड़ते औद्योगिकीकरण के कारण, शहरी मांग में वृद्धि हुई है और पानी की खपत बढ़ रही है, आप सोच सकते हैं कि एक मनुष्य अपने जीवन काल में पानी का उपयोग करता है, किंतु क्या वह इतने पानी को बचाने का प्रयास करता है उत्तर मिलेगा – नही , असाधारण आवश्यकता को पूरा करने के लिए जलाशय गहराया गया है इसके परिणाम स्वरूप पानी में लवण की मात्रा में वृद्धि हुई है, श्री साव ने कहा कि वैश्विक जल संरक्षण के वास्तविक क्रियाकलापों को प्रोत्साहन देने के लिए विश्व जल दिवस को सदस्य राष्ट्र सहित संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाया जाता है, इस अभियान को प्रति वर्ष संयुक्त राष्ट्र एजेंसी की एक इकाई के द्वारा विशेष तौर से बढ़ावा दिया जाता है, जिसमें लोगों को जल से संबंधित मुद्दों के बारे में बताया जाता है, इसलिए विश्व जल दिवस के अवसर पर उन्होंने सबसे अपील किया है कि जल की खपत जरूरत भर ही करे जल बर्बाद नही करे, क्योंकि जल है तो कल है, सरकार ने भी जल संरक्षण पर कई तरह का कार्यक्रम चला रखा है पर जब तक समुदाय इसमें जागरूक नहीं होगा जल की खपत में कमी नहीं आएगी। यह गोष्ठी विश्व जल दिवस के अवसर पर मुकुंद साव के आह्वान पर ग्राम खिलाही पंचायत झापा प्रखंड चौपारण में दिवाकर पांडे की अध्यक्षता में गोष्ठी का आयोजन किया गया था। धन्यवाद ज्ञापन कैलाश साहू ने किया। गोष्ठी में कई ग्रामीण महिलाएं पुरुष शामिल थे।

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