कुल्टी में बुनियादी सुविधाओं का अभाव, जल संकट और जर्जर सड़कें, जनता में आक्रोश
कुल्टी:(गुलज़ार खान) पश्चिम बंगाल के कुल्टी क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव, विकराल जल संकट और सड़कों की दयनीय स्थिति को लेकर स्थानीय निवासियों में भारी आक्रोश है। लगभग पाँच वर्षों से विकास ठप्प होने और ‘शासक विहीन’ स्थिति का आरोप लगाते हुए, कुल्टीवासी अब अपनी मूलभूत ज़रूरतों के लिए जनप्रतिनिधियों और निगम प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
बुनियादी सुविधाओं से वंचित:
चिनाकुड़ी ½ नंबर इलाका इसका जीता-जागता उदाहरण है, जहाँ के निवासी पिछले छह महीनों से पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके अलावा, यहाँ की सड़कें और नालियाँ कच्ची हैं, और चारों ओर गंदगी का अंबार लगा हुआ है, जिससे यह क्षेत्र किसी ‘स्लम एरिया’ से कम प्रतीत नहीं होता। निवासियों का कहना है कि आसनसोल नगरनिगम के पार्षद, एमआईसी और मेयर तक को अपनी व्यथा सुना चुके हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।
विकास परियोजनाएँ और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप:
लोगों का आरोप है कि 133 करोड़ रुपये की जल परियोजना सिरे से विफल हो गई है, और उस राशि से खरीदी गई पाइपें भी इधर-उधर फेंकी हुई दिखाई देती हैं। भाजपा सरकार की ‘अमृत योजना’ का ढिंढोरा पीटना भी व्यर्थ साबित हुआ, क्योंकि जल संकट आज भी बना हुआ है।
स्थानीय निवासी सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) और विपक्षी भाजपा के बीच चल रहे आरोप-प्रत्यारोप से थक चुके हैं। तृणमूल का आरोप है कि भाजपा विधायक कुछ नहीं कर रहे, जबकि विधायक का कहना है कि तृणमूल वाले उन्हें काम करने नहीं देते। इस खींचतान में आम जनता ठगा हुआ महसूस कर रही है।
विधायक के वादे हवा में:
कुल्टी के भाजपा विधायक ने चुनाव के समय यह वादा किया था कि जीतने भी टाली और खपड़े के मकान हैं, उनकी छत ढलाई कर पक्काकरण किया जाएगा। लेकिन, लोगों का कहना है कि छत ढलाई तो दूर, विधायक के दर्शन भी चुनाव के बाद दुर्लभ हो गए हैं।
सड़कें बनीं मुसीबत:
बामनडीहा से लेकर डिसरगढ़ तक की सड़कों की स्थिति अत्यंत जर्जर है, जो आसनसोल और पुरुलिया को जोड़ने वाला एक मुख्य मार्ग है। इसके अलावा, नियामतपुर स्थित बोरो कार्यालय का रास्ता भी खराब हालत में है।
राजनीतिक नेतृत्व का शून्य:
समाचार के अनुसार, कुल्टी का राजनीतिक परिदृश्य भी ‘शून्य’ है। भाजपा संगठन में नेतृत्वविहीनता और आपसी गुटबाजी के कारण वे मजबूत नहीं हो पाए हैं, और कमोबेश यही स्थिति टीएमसी की भी है, जहाँ नेतृत्व क्षमता की कमी संगठन को नुकसान पहुँचा रही है। दोनों बड़े दलों के नेता और कार्यकर्ता स्वार्थ साधने में लगे हैं, जिसका खामियाजा आम जनता भुगत रही है।
जनता का फैसला बाकी:
कुछ ही महीनों में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं। नेताओं ने अपना ‘रंग’ दिखा दिया है, अब देखना है कि इस बार कुल्टी की जनता, जो मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही है, मतदान में क्या रंग दिखाती है।

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