welcome to the India's fastest growing news network Monday Morning news Network
.....
Join us to be part of us
यदि पेज खुलने में कोई परेशानी हो रही हो तो कृपया अपना ब्राउज़र या ऐप का कैची क्लियर करें या उसे रीसेट कर लें
1st time loading takes few seconds. minimum 20 K/s network speed rquired for smooth running
Click here for slow connection


महामारी में फैली बीमारी से गरीबों को ज़कात फितरे की रकम से करे मदद: मौलाना

लोयाबाद रमज़ानुल मुबारक की दूसरे जुमे की नमाज़ चंद लोगों के साथ अक़ीदत और सोशल डिस्टेंसिग के साथ अदा की गई। लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में ही नमाज़ पढ़े ,वहीं मस्जिदों में सरकारी गाइडलाइंस का पालन किया गया।लोयाबाद 7 नंबर मस्जिद के इमाम मौलाना अब्दुल खालिक कादरी ने कहा रमज़ान का पाक महीना का जिक्र करते हुए कहा कि अल्लाह ने ये महीना हमें अता किया है। ताकि गुनाहों से हम तौबा कर सकें।रमाजन शरीफ का एक एक दिन कीमती है।इस दिन को बेवजह बर्बाद न करें।

मुसलमानों पर रोजे फर्ज किये गए

इमाम मौलाना अब्दुल खालिक कादरी ने कहा कि नबी करीब मोहम्मद (स) कुछ रोज गारे हेरा में गुजारे थे, उस वक्त नबी करीम दिन में खाना से परहेज करते थे,और रात जिक्र इलाही में मशगूल रहा करते थे, अल्लाह को यह अदा पसंद आई और फिर इन दिनों के याद को ताजा करने के लिए मुसलमानों पर रोजे फर्ज किये गए, ताकि उनकी महबूब की सुन्नत कायम रहे।मौलाना खालिक कादरी ने यह भी कहा कि हुजूर मोहम्मद (स) से पहले जो पैगम्बर गुजरे वो एक दिन रोजा,तो दूसरे दिन अफ्तार या कोई चार दिन भूखे और चार दिन अफ्तार किया करते थे।पहले के पैग़म्बरों पर एक महीने का रोजा फर्ज नहीं था। मौके पर हाफिज गुलाम रब्बानी साहब मौजदू थे।

रमज़ान महीने में नाजिल हुई मुकद्दस कुरान:-मौलाना कलाम

लोयाबाद पावर हाउस मस्जिद के इमाम मौलाना अबुल कलाम खान रिजवी साहब फरमाते है कि अल्लाह तआला ने माहे रमजान में मुकद्दस किताब कुरान पाक को नाजिल कर मुसलमानों को जिंदगी जीने का तरीका बताया। कुरआन पाक की आयतों में साफ लफ़्ज़ों में तहरीर है कि मुसलमानों को कौन सी काम करनी चाहिए और कौन सी काम नहीं करनी चाहिए। इस्लाम धर्म में जकात (दान)और रमजान के मौके पर निकाला जाने वाला फितरा का खास महत्त्व है। माहे रमजान में इनको अदा करने का महत्त्व और बढ़ जाता है। क्योंकि इस महीने में हर नेकी का अल्लाह तआला सत्तर गुना सवाब (पुण्य) अता करता है। यह हर मुसलमान पर फर्ज है। साहिबे निसाब (जिसके पास साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी की हैसियत हो) है।उस पर जकात (दान) निकालना फर्ज है। इस बार प्रत्येक व्यक्ति को 50 रुपये के हिसाब से फितरे की रकम निकालनी है। देश में कोरोना महामारी फैली हुई है। काफी गरीब परिवारों के सदस्य सही से काम नहीं कर पा रहे साहेबे निसाब मुसलमानों को चाहिए कि वैसे परिवारों को जकात और फितरे के पैसे से मदद करें। साथ ही साथ मदरसे का भी ध्यान रखें वहाँ पर भी यतीम मिस्कीन बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं।

अल्लाह रब्बुल इज्जत ने कुरान में फरमाया कि साल भर की कमाई का ढाई प्रतिशत जकात के रूप में मिस्कीनों(गरीबों) को देना हर साहिबे निसाब मुसलमान पर फर्ज है। नबी करीम फरमाते हैं कि ईद की नमाज अदा करने से पहले फितरे की रकम को निकाल देना वाजिब है। अगर कोई इसको अदा नहीं करता तो उसके रोजे आसमान और जमीन के दरम्यान मुअल्क (लटकता) रहता है। रिवायत का जिक्र करते हुए मौलाना कलाम ने बताया कि हजरत उमर फारूख रजीअल्लाह तआला अन्हों फरमाते हैं कि जिस माल की जकात निकाल दी जाती है वह माल कभी भी सूखे और पानी में बरबाद नहीं हो सकता है।

Last updated: अप्रैल 23rd, 2021 by Pappu Ahmad
Pappu Ahmad
Correspondent, Dhanbad
अपने आस-पास की ताजा खबर हमें देने के लिए यहाँ क्लिक करें

पाठक गणना पद्धति को अब और भी उन्नत और सुरक्षित बना दिया गया है ।

हर रोज ताजा खबरें तुरंत पढ़ने के लिए हमारे ऐंड्रोइड ऐप्प डाउनलोड कर लें
आपके मोबाइल में किसी ऐप के माध्यम से जावास्क्रिप्ट को निष्क्रिय कर दिया गया है। बिना जावास्क्रिप्ट के यह पेज ठीक से नहीं खुल सकता है ।
  • ट्रेंडिंग खबरें
    ✉ mail us(mobile number compulsory) : [email protected]
    
    Join us to be part of India's Fastest Growing News Network