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गमछा तेरी अद्भुत हैँ कहानी कि गमछा किसका?? — लेखक सह पत्रकार ( अरुण कुमार )

गमछा तेरी अद्भुत हैँ कहानी कि गमछा हैँ किसका —- लेखक सह पत्रकार ( अरुण कुमार ) — आज का यह टॉपिक मैंने मनोरंजन के उदेश्य से आपसबों को समर्पित करने की कोशिश किया हूँ क्योंकि अगर आज हमसब एक गमछा की बात करते हैँ तो हमारे जेहन में उस गमछा के कई रूप और रंग उभर जाते हैँ जैसे उदाहरण स्वरूप गमछा के कई रंग होते हैँ, सादा गमछा, पीला गमछा, हरा गमछा, गुलाबी गमछा, नीला गमछा, लाल गमछा, चुनरी वाला पूजा हेतु गमछा, काला गमछा, खादी गमछा,केसरिया गमछा, भगवा गमछा और तो और एक पंडित जी का भी गमछा अलग से आता हैँ वहीँ शादी विवाह में भी एक गमछा का कितना योगदान हैं ये बातें भी किसी से छुपी हुई नहीं हैँ जबकि आज हम बात कर रहे हैँ कि भाई गमछा हैँ किसका तो ये तो जगजाहिर सी बात हैं कि गमछा किसी एक का तो हो नहीं सकता फिर मैंने आज का यह टॉपिक कि गमछा हैँ किसका क्यों रक्खा हैँ तो मैं बताता हूँ कि गमछा हैँ किसका वैसे हमारा धनबाद क्षेत्र खासकर झरिया बाबूसाहेब का सबदिन से रहा हैँ ऐसे में लाजिमी सी बातें हैँ कि सबसे पहले गमछा उन्होंने ही अपने कंधे पर रक्खा होगा अब बात आती हैँ चुनरी वाले गमछा कि तो सबसे पहले यहीं गमछा बाबूसाहब की सबसे पसंदीदा गमछा हुआ करती थी किन्तु जब आमलोग भी इस गमछा को रखने लगे तो बाबूसाहेब पीला गमछा कुछ समय तक धारण किये तत्पश्चात यह पीला गमछा किसी और के द्वारा पसंद किया जाने लगा फिर बाबूसाहेब ने सादा गमछा धारण किये वो भी बिना संकोच किये जबकि वो ज्यादा गन्दा भी हो जाता था किन्तु मान सम्मान के लिए रखना भी जरुरी था तथापि जब यह गमछा भी कॉमन हो गया तो उन्होंने कूछ दिनों तक लाल व केशरिया गमछा को धारण किया फिर भी बात नहीं बनी फिर नीला गमछा धारण किया वहाँ भी मजा नहीं आया और हरा तो रख नहीं सकते थे फिर उनके मन में सादा चुनरी का गमछा का ख्याल आया और कुछ समय तक वो गमछा काफी चलन में रहा और हैँ किन्तु अब ज़ब ये भी कॉमन हो गया हैँ तब अब पंडित जी वाला गमछा पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा हैँ जिसमें की लगता हैँ कि वहां भी बात नहीं जमेगी फिर तभी तो मैं आज कह रहा हूँ कि गमछा किसका वैसे मेरे हिसाब से सादा गमछा ही सबसे सटीक और कूल हैँ जिसे नेता जी से लेकर अभिनेता तक पसंद करते हैँ तो बाबूसाहेब लोगों से आग्रह होगा कि वे गमछा को अवश्य रक्खे क्योंकि उनकी एक मात्र पहचान गमछा से भी हो जाती हैँ जो कि एक शास्वत सत्य भी हैँ तो गमछा हैँ किसका यहीं हैँ गमछा की कहानी एक गमछा की जुबानी ✍️✍️

Last updated: जनवरी 24th, 2024 by Arun Kumar
Arun Kumar
Bureau Chief, Jharia (Dhanbad, Jharkhand)
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