देश की आजादी के बाद भी लोयाबाद का एक कस्बा आज भी पानी के लिए दर बदर भटक रहा
लोयाबाद आजादी के बाद से आज भी लोयाबाद का एक ऐसा गाँव है जो प्यासा है। यहाँ के लोग बूंद बूंद के लिए दर दर की ठोकर खा रहा है। वार्ड 8 में पढ़ने वाले लोयाबाद स्टेशन रोड के करीब पाँच सौ घर पानी के तरस रहे हैं। पार्षद,मेयर सहित विधायक सांसद के घरों पर यहाँ के लोग चक्कर काट कर थक चुके हैं। यहाँ के ग्रामीणों की माने तो आजतक पेयजल पर किसी विभाग ने दिलचस्पी नहीं दिखाई।
एक भी चापाकल नहीं है
एक धरोहर भी चापाकल का यहाँ नहीं मिलेगा। यहाँ के लोग नदी नालों पर निर्भर है। गर्मी की दस्तक देते ही वह भी सुख जाता है।गर्मी में पानी की सम्सय्या दो गुनी होजाती है। लोग बीमार भी रहते है तो भी पानी दूर से ढोकर लाते है। 2012 में पीएचईडी विभाग को भी पत्र दिया गया। लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा।
गाँव के महिला पुरुष बर्तन लेकर प्रदर्शन किया
बुधवार को गाँव के पास ही महिला पुरुष बर्तन लेकर प्र्दशन किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी किया।
प्रर्दशन करने वालों मे
जयप्रकाश यादव, महताब आलम, कालीचरण दास, मुन्ना झा, आदित्य कर्मकार,दोश मोहम्मद, अजय यादव, कमलेश विश्वकर्मा धर्मेन्द्र विश्वकर्मा, गुलाम अंसारी, अनंद लायक,सतीश दत्ता, बब्लू अंसारी, राजवल्लभ यादव सहित दर्जनों महिला पुरुष शामिल लोगों ने कहा 6 अप्रैल को धनबाद डीसी के जनता दरबार में आवेदन दिया गया। डीसी नगर आयुक्त को लिखे है। इसके बाद भी ग्रामीणों को भरोसा नहीं है कि गाँव वालों पानी मिल पायेगा।
ग्रामीणों ने एक बुक का हवाला देते हुए ग्रामीणों ने कहा कि 89 प्रतिशत नल से पानी तमिलनाडू की जनता को मिलता है। गोवा 96 प्रतिशत, हिमाचल 84 प्रतिशत, बाकी राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल एवं झारखंड की औसतन 10 प्रतिशत भी यहाँ नल से पानी नहीं सप्लाई की जाती है , ये दुर्भाग्यपूर्ण है।

Copyright protected