मैथन “पुलिस बागान” के निकट पर्यावरण को खुलेआम किया जा रहा है धराशाई, पुलिस और वन विभाग बनी मूकदर्शक
कल्यानेश्वरी। कल्यानेश्वरी से मैथन डैम को जाने वाली मुख्यमार्ग के निकट पुलिस बागान (जंगल रोड) के पास ही स्थित मैथन डैम की मनोरम जंगल को इन दिनों जमीन माफियाओं द्वारा उजाड़ा जा रहा है।
बथानबाड़ी ग्राम निवासी जयदेव गोराई ने स्वयं को इस जमीन का मालिक बताया है। किन्तु देंदुआ ग्राम पंचायत अंतर्गत होदला मौजा जेएल-23, प्लाट संख्या-103, कुल 56 डिसमिल जमीन को होटल व्यवसाय के लिए बेचने का सडयंत्र किया जा रहा है,
उक्त जमीन के पीछे फारेस्ट तथा सामने डीवीसी की जमीन है, पास ही दो तीन प्लाट और है जो सभी संदेह के घेरे मैं है, सवाल यह उठता है कि जंगल के बीचों बीच निजी जमीन कहाँ से आया, निजी नाम पर रिकॉर्ड कैसे बना।
रविवार को जयदेव गोराई पुनः एकबार फिर भयमुक्त होकर उक्त जमीन को जेसीबी मसीन से समतल कराने पहुँचे थे, इस दौरान वहाँ कई पेड़ो की जड़ समेत उखाड़ दिया गया, नीव काटने के क्रम में जिंदा पेडों को जड़ से उखाड़ दिया गया।
घटना स्थल से महज चार कदम पर पुलिस बागान और आठ कदम पर पुलिस चेक नाका है, आधा किलोमीटर की दूरी पर होदला फारेस्ट बिट कार्यालय और थोड़ी दूरी पर फारेस्ट गेस्ट हाउस भी है, किन्तु विडंबना यह है कि किसी भी अधिकारियों को कुछ दिखाई नही दे रहा है और जमीन पर खुलेआम जेसीबी चलाया जा रहा है। साथ ही डीवीसी प्रबंधन भी मूकदर्शक बनी हुई है।
आज के पूर्व भी चार बार जयदेव गोराई ने अपनी पहुँच और पैरवी के दम पर कई पेड़ो को काट दिया था, हर बार खबर प्रकाशित होने के बाद कार्य तो बंद हुआ, किन्तु पेडों की कटाई आज भी बदस्तूर जारी है, यह स्थान मनोरम जंगल से अब खुला मैदान बन चुका है, यही हाल रहा तो छोटा कश्मीर कहे जानी वाली मैथन को श्मशान बनने में अब देर नही है।
वही मामले की सूचना कल्यानेश्वरी फाड़ी प्रभारी उज्जल साहा को दिया गया, जिन्होंने एक पुलिस अधिकारी को घटनास्थल पर भेजा जो निरक्षण के बाद चुपचाप लौट गए।
वही दूसरी और वन विभाग कर्मचारी रिंटू कहार ने मौके पर पहुँचकर पहले तो उन्होंने पुराने एक पेड़ काटने की अनुमति के बारे में बताया हालांकि तत्काल कोई आदेश के सवाल पर उन्होंने जेसीबी मसीन बंद करा दिया , पूरे प्रकरण में इस जमीन पर सभी की मिलीभगत की बू आ रही है।
कहा जाता है कि मैथन के इस प्राइम लोकेशन पर जमीन की वैल्यू करोड़ो की है, जिसके लिए बाहर के होटल व्यवसायियों की नजर यहाँ गिद्ध की तरह है, हाल यह है कि कद्दू कटेगा तो सबमे बटेगा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है, इस प्रकरण में “क्लीन मैथन ग्रीन मैथन” का नारा अब धूमिल होती नजर आ रही है।

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