वर्षा जल संरक्षण हेतु आसनसोल मंडल ने बनाई अनूठी योजना जिससे रोजगार का होगा सृजन

भारतीय रेलवे के इतिहास में यह पहला वाकया है कि पी.के.मिश्रा,मंडल रेल प्रबंधक/ आसनसोल के नेतृत्व में अपने पर्यावरण के समस्याओं से मुकाबला करने के लिए वर्षा जल संरक्षण, पर्यावरण सुरक्षा, अतिक्रमण से सुरक्षा एवं रोजगार सृजन से युक्त एक योजना बनी है ।
रेलवे ट्रैक के दोनों ओर होगा मतस्य पालन
रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ 200 से 400 फिट लंबा एवं 15 फिट गहरा 100 से अधिक जलाशयों (तालाबों) का निर्माण कर उनसे जल संग्रह कर मत्स्य पालन प्रारंभ कर रेलवे सम्पत्ति के दोनों तरफ के अतिक्रमण पर रोक लगाई जा सकेगी।

इसे रेलवे ट्रैक से लगभग 20 फिट की दूरी पर निर्मित किया जाएगा। जल संग्रह के अलावा भू जल को रिचार्ज कर मछली पालन भी किया जाएगा। इस तरह से रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ के अतिक्रमण पर रोक लगाई जा सकेगी। एक बार जब मानसून के पानी से तालाब भर जाएगा तब स्थानीय लोगों को मत्स्य पालन से रोजगार की प्राप्ति होगी।
पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर से खाना के बीच ऐसे 20 जलाशयों का निर्माण किया जाएगा तथा झारखंड के कालूबथान एवं छोटा अंबोना जैसे छोटे स्टेशनों में भी जहाँ गंभीर जल संकट है वहाँ भी इसका निर्माण किया जाएगा। 20 स्टेशनों के इन जलाशयों से यात्रीगण तथा रेल कर्मचारी पीने का पानी प्राप्त कर सकेंगे।
छत पर जमे वर्षा जल के संरक्षण के कार्य को भी बडें पैमाने पर हाथ में लिया गया है
पूरे मंडल भर में 150 इकाई को तैयार किया जाएगा तथा 13.4 लाख लिटर वर्षा जल की प्रति वर्ष संरक्षण होगी। इस मंडल के अन्तर्गत आसनसोल, अंडाल, पानागढ़, मानकर, मधुपुर, जसीडीह, सीतारामपुर के स्कूलों, अस्पताल भवनों, रेलवे प्रशासनिक भवनों, क्षेत्रीय प्रशिक्षण केन्द्र/भूली तथा समपार गेटों के केबिनों में भी वर्षा जल संरक्षण केन्द्र बनाया जाएगा।
छत के विशाल फर्श क्षेत्र के जल को ड्रेन पाइप के माध्यम से संग्रह किया जाएगा तथा जलाशयों में संरक्षित किया जाएगा एवं इसका परिशोधन कर प्रयोग के लिए पुनः आपूर्ति कर दिया जाएगा। इस परिशोधित जल का प्रयोग बागवानी,प्लेटफार्मों की सफाई,गाड़ियों की सफाई तथा शौचालयों की सफाई आदि के लिए किया जाएगा।

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