चिरेका में हर साल मार्च के महीने में लगती है आग , क्या है रहस्य ?

चिरेका के विद्युत लोको शेड “ए वार्ड एंड डब्ल्यू वार्ड” के पीछे डंपिग यार्ड के कचरे में आग लग गई
चित्तरंजन रेल इंजन कारखाना के अन्दर शाॅप नम्बर 26 और ओल्ड पेन्ट शाॅप के निकट विद्युत लोको शेड ए वार्ड एंड डब्ल्यू वार्ड के पीछे डंपिग यार्ड के कचरे में बुधवार दोपहर अचानक आग लग गई। आग लगने से अफरा-तफरी मच गई। हालांकि आग लगने की घटना में किसी कर्मी को नुकसान होने की खबर नहीं है। आग लगने का कारणों का पता नहीं चल पाया। बताया जाता है कि आग दोपहर में लगी धीरे धीरे आग ने भयावह रूप ले लिया और पास के झाड़ी जंगलों तक पहुँच गई। आग काफी प्रबल थी देखते देखते आग ने लगभग 400 सौ मीटर क्षेत्रफल को अपने कब्जे में ले लिया।
आग की खबर मिलते ही चिरेका अग्निशमन दस्ता अपनी छोटी और बड़ी दमकल वाहनों को घटना स्थल पर लुकर पहुँची और आग बुझाने लगी। आग की स्थिति को देखते हुए चिरेका प्रशासन ने जामताड़ा और आसनसोल से दो दमकल को मंगाया और आंग की लपटो पर काबू पाने में जुटी गई। शाम के 7 बजे के बाद आग पर काबु पाने की सूचना सिरेका प्रशासन की ओर से दिया गया।
हर साल मार्च महीने में लगती है आग
बार बार मार्च महीने में कारखाना के किसी ना किसी क्षेत्र में आग लगने से यूनियन के नेता और सदस्यों ने बताया कि यह आग सुनियेाजित होने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। बार बार इसी महीने आग लगना प्रश्न चिन्ह तो जरुर खड़ा करता है। गौरतलब है कि मार्च का महीना वित्तीय वर्ष का आखिरी महीना होता है ऐसे में हर साल मार्च महीने में आग लगना किसी षड्यंत्र कि ओर भी इशारा करता है
क्या कहते है अधिकारी
मार्च महीने में हर साल आग लगने के संयोग पर कोई भी स्पष्ट बयान न देकर इस मामले में चिरेका के मुख्य जनसम्पर्क पदाधिकारी मंतार सिंह ने बताया कि डंपिग यार्ड के रखे गए कबाड़ में आग लगी है इसमें रद्दी कागज, लकडी तथा जुट इत्यदि कचड़े रखे हुए थे। आग पर नियंत्रण के लिए चार दमकलों को लगाया गया है। बताया कि आग से कोई रेलवे संपत्ति का नुकसान नहीं हुई। आग कैसे लगी इसकी जाँच करायी जायगी।
संवाददाता: काजल मित्रा

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