कोलियरी प्रबन्धन के सुस्त रवैया के कारण विगत एक महीने से अंधेरे में रहने को मजबूर पाँच हजार आबादी वाले क्षेत्र के लोग
लोयाबाद सात नंबर के करीब पाँच हजार आबादी पिछले एक महीने से अंधेरे में है। इस क्षेत्र में लोयाबाद कोलियरी द्वारा बिजली आपूर्ति की जाती है। 28 सितंबर को साइक्लोन बारिश के बाद गायब हुई बिजली आजतक नहीं लौटी। कहा जा रहा है कि ट्रांसफर्मर में बारिश का पानी चला गया है। अब उसको लेकर फजीहत बना हुआ है। कभी ट्रांसफर्मर मुर्र्मति तो कभी स्वीच में काम का हवाला देकर समय गुजरता जा रहा है। लोग बिजली के लिए परेशान है। और कोलियरी प्रबन्धन टालमटोल कर रहा है। प्रबन्धन की सुस्ती के कारण एक महीने बाद 28 अक्टूबर को 550 वोल्ट के ट्रान्सफार्मर को लोयाबाद वर्कशॉप ले जाया गया है। अब वहाँ जाँच होगी, फिर पता चलेगा क्या करना पड़ेगा। प्रबन्धन का कहना है कि ट्रांसफर्मर रूम जर्जर है। चदरे शीट की छौनी और दीवार बनी हुई है। शीट सड़ चुका है।जहाँ तहाँ पानी टपकता है। यही वजह है कि बारिश का पानी से ट्रांसफर्मर और स्वीच को नुकसान पहुँचाया है। काम चल रहा है। जल्द ही बिजली आपूर्ति बहाल होगी।
वर्क लोड का हवाला देकर देर हुई मुर्र्मति शुरू
बताया जाता है कि जब बारिश रुका तो लाइन चार्ज हुआ, लाइन चार्ज करते ही 500 केवीए का ट्रांसफार्मर में धुँवा मार दिया। प्रबन्धन वर्क लोड का हवाला देकर मर्र्मति शुरू नहीं किया है। अब मुर्र्मति शुरू किया गया,फिलहाल पाँच हजार की आबादी परेशान है।
दो महीने भी नहीं चला ट्रांसफार्मर
तीन माह पहले तीन महीने अंधेरे में गुजारने के बाद यह ट्रांसफार्मर बना, फिर बीच में 15 फिट कॉपर केबल कटने से दस रोज अंधेरा छाया रहा। अब फिर से यही ट्रांसफार्मर में खराबी आगयी।जाँच के बाद ही पता चेलगा कि ट्रांसफार्मर की हालत किया है।
जर्जर रूम में रखी गई है लाखों का ट्रान्सफार्मर
यहाँ के ट्रांसफर्मर रूम की हालत जर्जर है। दीवार की जगह शीट चदरे से घेरा बंदी किया गया था। छौनी भी (चदरे )का शीट का ही है। शीट सड़ चुका है। इस भारी बारिश में ट्रांसफार्मर और में स्वीच में खूब पानी गया। धुंवे मारने का यह एक कारण बताया जा रहा है। शुरू से सात नंबर के लोग यहाँ के बिजली से परेशान है। यहाँ के लिए विधायक ढुल्लू महतो ,पूर्व मंत्री जलेश्वर महतो और उनके समर्थक काफी सक्रिय रहे हैं। बावजूद मुकम्मल हल नहीं निकलां। कुछ न कुछ हमेशा फ़ॉल्ट बना रहता है। लोयाबाद कोलियरी प्रबन्धन भी कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाती है। चुकी इस लाइन में बीसीसील कर्मी कम ग्रामणी अधिक है। जो दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवारों के पेट पालता है।

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