अपंग जानवरों को निःशुल्क कृत्रिम अंग लगाकर मानवता की मिशाल पेश कर रहे हैं डॉ० तपेश
कोलकाता में अपंग घोड़े को लगाया “कृष्णा लिंब”
पशु अपंगता पर देश भर में अलख जगा रहे जयपुर के पशु चिकित्सक डॉ० तपेश ने शनिवार 27 जुलाई को कोलकाता में एक घोड़े ‘शिवाजी’ को कृष्णा लिंब लगाया। उन्होंने उम्मीद जताई कि कुछ समय की फिजियोथेरेपी के बाद शिवाजी नाम का ये घोड़ा चलने फिरने लायक हो जाएगा। पीआरसीए संस्था की ओर से उन्हें इस घोड़े की मदद के लिए बुलाया गया था जिसका एक पैर कट गया था।
अपने कृष्णा नाम के बछड़े को लगाए थे पहला कृत्रिम अंग , उसीके नाम पर रखा “कृष्ण लिंब “
अब तक 10 राज्यों में 90 से ज़्यादा अपंग पशुओं के कृत्रिम पैर लगाने वाले डॉ० तपेश पिछले चार सालों से ये काम सेवा के तौर पर कर रहे हैं। इस काम की शुरूआत उन्होंने कृष्णा नाम के बछड़े के पैर लगाकर की थी और इसके बाद उन्होंने अपने स्तर पर निःशुल्क ‘कृष्णा लिंब’ यानि कृत्रिम पैर लगाना शुरू किया ताकि लोग अपंग पशुओं के प्रति समानुभूति का भाव रखें और उन्हें फिर से चलने फिरने लायक बनने में मददगार बनें।
करीब 400 लोगों को पशु अपंगता के बारे में मार्गदर्शन दे चुके डॉ० तपेश राजस्थान सरकार में कार्यरत हैं और ये कार्य पैन मीडिया फाउंडेशन के साथ मिलकर करते हैं। ज्यादातर गौवंश दुर्घटना का शिकार होने पर अपने पैर खो देता है, ऐसे में डॉ० तपेश ये जागरूकता ला रहे हैं कि ऐसी दुर्घटनाओं में कमी आए साथ ही लोग ऐसे पशुओं को समय पर संभालें भी ताकि पैर काटने की नौबत न आये।
पशु न अपनी परेशानी बता सकते हैं और न चलकर इलाज के लिए आ सकते हैं
प्रायोगिक पशुओं में क्रूरता पर निगरानी रखने वाली केंद्र के वन व पर्यावरण मंत्रालय की समिति (सीपीसीएसईए) के सदस्य रह चुके डॉ० तपेश का कहना है कि हालांकि इस कार्य में कई चुनौतियाँ हैं क्योंकि पशु न तो अपनी परेशानी व्यक्त कर सकता है न ही इलाज के लिए आपके पास चलकर आ सकता है।
उन्होंने कहा कि निःशुल्क सेवा इसलिए करते हैं ताकि ज़्यादा से ज़्यादा इसकी पहुँच हो सके। उन्होंने अभी तक जन सहयोग से ही अपने काम को यहाँ तक पहुँचाया है मगर वे आगे के शोध और अच्छे परिणामों के लिए अभी और सहयोग और प्रयास की ज़रूरत महसूस करते हैं।
कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं डॉ० तपेश
इस नवाचार के लिए उन्हें इंडियन सोसाइटी ऑफ वेटेरिनरी सर्जरी से ‘बेस्ट फील्ड वेटेरिनेरिअन’ का खिताब भी मिला है और हाल ही में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की ‘अंत्योदय बेस्ट प्रक्टिसेस’ में भी ‘कृष्णा लिंब’ के इस पशु सेवा कार्य का चयन किया गया है।
संवाद सूत्र : अमित कुमार राय (कोलकाता)
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