धनबाद समेत पुरे कोयलाँचल में पैगम्बर मो. साहब का जन्मदिन मिलाद उल नबी मनाया गया
जोड़ापोखर । देशभर में सोमवार को पूरे जोश के साथ पैगम्बर हजरत मोहम्मद शाहब के जन्मदिन मिलाद उल नबी मनाया गया। इस मुबारक अवसर पर झरिया कोयलांचल क्षेत्र में पूरे अदब और एहतराम के साथ जश्ने ईद मिलादुन्नबी मनाया गया । मस्जिद तथा मोहल्ले को रंग बिरंगी सजावट व लाइट से सजाया गया। साथ ही क्षेत्र के विभिन्न जगहों से जुलूस निकाला गया। झरिया कोयलांचल में लगातार दो दिनों से हो रहे भारी बारिष भी लोगो का जज्बात कम नही कर सका, भारी बारिष के बीच हज़ारो की संख्या में गाजे बाजे के साथ बच्चे, नौजवान तथा बुजुर्ग जुलूस में चलते रहे। इस दौरान पत्ता पत्ता फूल फूल, या रसूल या रसूल और सरकार की आमद मरहबा के गगणभेदी नारो से क्षेत्र गूंज गया । जुलूस डिगवाडीह, बरारी, जामाडोबा, जीतपुर से अपने तय रास्ते से निकला, जो फुसबंगला जाकर खत्म हुआ। बारिष के बावजूद पैगम्बर मोहम्मद के प्रति प्रेम और श्रद्धा देखते बनती थी। जुलूस के पूरे रास्ते अस्थाई द्वार का निर्माण किया गया था। जुलूस में शामिल नबी के दीवानों के काफिला का खाने पीने का इंतजाम के साथ जगह जगह फूलो से स्वागत किया गया। इस मौके पर जिला प्रशासन जोड़ापोखर पुलिस द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। जुलूस को शांतिपूर्ण सम्पन्न कराने को लेकर जोड़ापोखर पुलिस मुस्तैद दिखी।
*क्यों मनाया जाता है ईद मिलादुन्नबी*
यह दिन पैगम्बर मोहम्मद शाहब के जन्म के खुशी के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें इस्लाम मे अंतिम नबी माना गया है। ये इस्लामिक कैलेंडर हिजरी के तीसरे महीने रबीउल अव्वल की 12वी तारीख को मनाया जाता है। पैगम्बर मोहम्मद साहब का जन्म 570 ई में अरब के मशहूर शहर मक्का में हुआ था। उनके जन्म दिन की इस तारीख पर पूरे दुनियाभर में इस्लाम के अनुयायियों द्वारा ईद मिलादुन्नबी मनाया जाता है। ईद मिलादुन्नबी इस्लाम धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये अरबी भाषा के तीन शब्दो से मिलकर बना है। ईद का अर्थ जश्न, मिलाद का अर्थ जन्म तथा नबी का अर्थ शांति का दूत होता है।
संवाददाता – शमीम हुसैन

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