बदहाली: आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है
सालानपुर। किसी ने ठीक ही कहा है,आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। हालांकि आवश्यकता यदि अनदेखी और बदहाली के कारण उत्पन्न हुई हो तो आविष्कार मजबूरी बन जाती है। यह कहानी सालानपुर ब्लॉक अंतर्गत देंदुआ ग्राम पंचायत क्षेत्र की होदला गाँव की तत्कालीन परिस्थिति पर बिल्कुल सटीक बैठती है।
अनदेखी का आलम यह है कि होदला स्थित फुटबॉल ग्राउंड के निकट लगे चापाकल की ऊपरी हेंडल(भाग) को लगभग एक माह पूर्व किसी ने रात के अंधेरे में चोरी कर ली। अलबत्ता इस घटना से उत्त्पन्न समस्या से दर्जनों परिवार में पेय जल की विकराल संकट उत्पन्न हो गई। बदहाली कुछ ऐसा है कि आज एक माह बीत जाने के बावजूद भी किसी प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधि और ना ही पंचायत ने मामले की टोह ली।
गुजरते वक्त और दिन-प्रतिदिन पेयजल की आवश्यकता ने ग्रामीणों को आविष्कारक बना दिया। आदिवासी बहुल होदला गाँव के ही दो युवा ओमेश सोरेन और वैद्यनाथ टुडू ने नायाब तरीका अपनाते हुए बॉस की चचड़ी नुमा हेंडल बनाकर चापाकल को चालू कर दिया। जिससे गाँव के ग्रामीणों और राहगीरों को तत्काल पेयजल संकट से मुक्ति मिल चुकी है। हालांकि दोनों आदिवासी युवकों ने समाचार के माध्यम से सालानपुर पंचायत समिति और देंदुआ ग्राम पंचायत से उक्त चापाकल में हेंडल लगाकर मरम्मत करने की फरियाद की है।

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