48 वर्षों से है मुआवजे का इंतजार, कोर्ट के आदेश को भी बीसीसीएल ने दिखाया ठेंगा, प्रबंधन की उदासीनता से 40 से 50 परिवारों की जिंदगी बना नर्क
बाघमारा (धनबाद)। धनबाद के बीसीसीएल ब्लॉक-दो क्षेत्र में पड़ने वाले जयरामडीह राय टोला के रैयत मौत के मुहाने पर रहने को मजबूर हैं। साल 1972 से यहाँ के रैयत जमीन के बदले मुआवजे और नियोजन की मांग को लेकर बीसीसीएल से संघर्ष कर रहे हैं। बीसीसीएल प्रबंधन द्वारा जमीन खाली कराने को लेकर न्यायालय में मामला रैयतों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया, लेकिन न्यायालय ने रैयतों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कंपनी को जल्द से जल्द मुआवजा और नियोजन देने का आदेश दिया। लेकिन कोर्ट के आदेश के बावजूद यहाँ ग्रामीण को कुछ नहीं मिला।
बीसीसीएल रैयतों की जमीन पर कोयला उत्खनन और ओबी का काम जबरन कर रही है। बीसीसीएल प्रबंधन की उदासीनता के कारण यहाँ रह रहे 40 से 50 परिवारों की जिंदगी नर्क हो चुकी है। गाँव के अगल बगल में बीसीसीएल के प्रोजेक्ट और आउटसोर्सिंग कंपनियाँं काम कर रही हैं. रात-दिन कोयला खनन से लेकर ढुलाई का काम होता है। बीसीसीएल ने ओबी को जमा करते-करते पहाड़ बना दिया गया है।
गाँव के चारों तरफ भू-धंसान क्षेत्र बन गया है. आये दिन यहाँ भू-धंसान होता रहता है। जिस स्थान पर ग्रामीण रह रहे उससे कुछ ही कदम की दूरी पर भू-धंसान, गैस रिसाव 24 घंटे होता रहता है, यहाँ तक कि घर के आँगन, कमरे, बाथरूम सभी जगह गैस रिसाव होता है। जमीन इतनी गर्म रहती है कि कोई खाली पैर खड़ा तक नहीं हो सकता. बारिश के समय धुएँ का धुंध बना रहता है।
ग्रामीणों ने इस समस्या को लेकर जमेशदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय से गुहार लगाकर जल्द नियोजन और मुआवजा दिलाने की गुहार लगाई, विधायक क्षेत्र का दौरा कर चारों ओर गैस रिसाव तथा भू-धंसान, गन्दगी को देखकर आश्चर्य व्यक्त किया।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि वे लोग कहाँ जाएं. पुश्तैनी जमीन है, अगर बीसीसीएल उनलोगों को मुआवजा और नियोजन देती तो वे लोग खुद चले जाते। यहाँ दिन-रात गैस रिसाव होता रहता है। घर-आँगन तक में धुआँ रहता है. दुर्गंध ऐसा कि रहना दुस्वार हो जाए।
विधायक सरयू राय ने कहा कि यहाँ रहने वाले लोग मौत के मुहाने पर हैं। स्थिति बहुत गम्भीर है. कोर्ट में ग्रामीणों के पक्ष में फैसला आने पर भी मुआवजा नहीं देना आश्चर्य का विषय है। बीसीसीएल के बड़े अधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक से ग्रामीणों की समस्या को लेकर बात करेंगे। ग्रामीणों को उनका अधिकार जरूर मिलना चाहिए।

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