बाल श्रमिक पर रोक लगाने में असमर्थ सरकार
शिल्पांचल में बाल श्रमिक कार्य करते देखे जा रहे हैं
दुर्गापुर (14 नवंबर ) : देश के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरु ने अपने जन्म दिन बच्चों को समर्पित किए थे इसके पीछे उनका बच्चों के प्रति प्रेम और दूरदर्शिता मुख्य थी. पर वर्तमान मैं उनका सपना मात्र सपना ही दिखता है. उन्होंने अपने देश से बाल श्रम को पूरी तरह से खत्म करने का सपना देखा था . इसी कारण उन्होंने अपना जन्मदिन बच्चों के नाम समर्पित किया था. उनके इस सपनों को साकार करने के लिए सरकार द्वारा किए गए तमाम प्रयास खानापूर्ति ही साबित हुआ है. बाल श्रमिक पूरे देश में जगह-जगह होटल, ईंट-भट्टा , घरेलू नौकरों के रूप में आसानी से देखे जा सकते हैं.
बच्चों का भविष्य अंधकार मेंजा रहा
सरकार द्वारा बाल श्रमिकों के लिए विशेष तौर पर स्कूलों की व्यवस्था की गई है इसके बावजूद पूरे शिल्पांचल में बाल श्रमिक कार्य करते देखे जा रहे हैं. बच्चे रेलवे स्टेशन , बस स्टैंड , ईंट-भट्टा, गैरेज मैं काम करते दिखते हैं . क्या यही था चाचा नेहरु का सपना . दुर्गापुर के समाज सेवी सुदेव राय ने बताया कि सरकार बाल श्रमिक पर रोक लगाने में असमर्थ है . बच्चों को जोर जबरदस्ती काम कराया जाता है . मां बाप भी कम उम्र में स्कूल में ना भेज कर बच्चे को काम पर भेज देते हैं . प्रशासन की ओर से इस पर कारवाई नहीं होती है . बच्चों का भविष्य अंधकार की तरफ चले जा रहे है . बच्चे को खेलने के उम्र में काम कराया जाता है.

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