बाल मजूदरी दुनिया के लिए अभिशाप – बाल संरक्षण प्रतिष्ठान
बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर बाल श्रम प्रतिष्ठान की चौपारण प्रखंड इकाई और प्रखंड साक्षरता समिति चौपारण के संयुक्त तत्वाधान में एक गोष्ठी का आयोजन मालती देवी की अध्यक्षता में आयोजित की गई। जिसमे बतौर मुख्य अतिथि बाल संरक्षण प्रतिष्ठान के जिला इकाई हजारीबाग के संयोजक और प्रखंड साक्षरता समिति चौपारण के समन्वयक मुकुंद साव उपस्थित थे। गोष्ठी को संबोधित करते हुए श्री साव ने कहा कि बच्चों को देश का भविष्य कहा जाता है, किसी भी देश के बच्चे अगर शिक्षित और स्वस्थ्य होंगे तो वह देश उन्नति औऱ प्रगति करेगा और देश में खुशहाली आयेगी। लेकिन अगर बच्चे बचपन से ही किताबों को छोड़कर कल-कारखनों में काम करने लगेंगे तो देश समाज का भविष्य उज्ज्वल नहीं होगा। देश में आज भी करोड़ों बच्चे स्कूलों की बजाए कल-कारखानों, ढाबों और खतरनाक कहे जाने वाले उद्योगों में कार्य कर रहे हैं। जहां दो पेट के भोजन की शर्त पर उनका बचपन और भविष्य तबाह हो रहा है। सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया भर में बच्चे पढ़ाई छोड़कर काम करने को मजबूर हैं। मुकुंद साव ने कहा कि भारत की बात करें तो सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2 करोड़ और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार तो लगभग 5 करोड़ बच्चे बाल श्रमिक हैं। इन बाल श्रमिकों में से 19 प्रतिशत के लगभग घरेलू नौकर हैं। ग्रामीण और असंगठित क्षेत्रों में तथा कृषि क्षेत्र से लगभग 80 प्रतिशत जुड़े हुए हैं। शेष अन्य क्षेत्रों में बच्चों के अभिभावक ही बहुत थोड़े पैसों में उनको ऐसे ठेकेदारों के हाथ बेच देते हैं जो अपनी व्यवस्था के अनुसार उनको होटलों, कोठियों तथा अन्य कारखानों आदि में काम पर लगा देते हैं। उनके नियोक्ता बच्चों को थोड़ा सा खाना देकर मनमाना काम कराते हैं. 18 घंटे या उससे भी अधिक काम कराते है, केवल घर का काम ही नहीं इन बाल श्रमिकों को पटाखे बनाना ,कालीन बुनना, वेल्डिंग करना ,ताले बनाना, पीतल उद्योग में काम करना , कांच उद्योग, हीरा उद्योग ,माचिस, बीड़ी बनाना, खेतों में काम करना ,कोयले की खानों में, पत्थर खदानों में ,सीमेंट उद्योग ,दवा उद्योग में तथा होटलों और ढाबों में जूठे बर्तन धोना आदि सभी का मालिक की मर्जी के अनुसार करने होते हैं, इन समस्त कार्यों के अतिरिक्त कूड़ा चुनना, पॉलिथीन की थैलियां चुनना आदि अनेक कार्य हैं जहां ये बच्चे अपने जीवन को नहीं जीते नरक भुगतते हैं ,परिवार को पेट पालते हैं,बहुत बार बच्चों की तस्करी का भी मामला प्रकाश में आता रहता है,फिर भी समुदाय जागरूक नही हुआ,इसके प्रति लोगो को जागरूक करने के लिए आज से 19 साल पहले अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन ने प्रत्येक वर्ष 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस मनाने का फैसला लिया था,2021 के एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 16 करोड़ बच्चे बाल श्रम के चपेट में है,इससे निपटने के लिए बाल विकास परियोजना लाया गया पर वो बिलकुल फेल रहा, चौपारण प्रखंड में लगभग 150 आंगनवाड़ी केंद्र,और 150 प्राथमिक विद्यालय संचालित है उसके बाद भी प्रखंड के सैकड़ों बच्चे आज भी आंगनवाड़ी केंद्र और विद्यालय से बाहर है, वो मजदूरी करने पर मजबूर है,परंतु विभाग और विभागीय अधिकारी आज भी चीर निद्रा में सो रहे है,बाल संरक्षण नामित कई संस्थाएं भी इस क्षेत्र में कार्यरत है परंतु संतोष जनक उपलब्धि नहीं है,गोष्ठी में गीता देवी,रीता देवी,संजू देवी,नुरेशा खातून,संगीता देवी,मालती देवी,यशोदा देवी,पूर्णिमा देवी,कांति देवी,सुनीता देवी,बिंदेश्वरी देवी,झरोखा देवी,मुनि देवी, दारो देवी,जीरा देवी,मीना देवी, हेमंति देवी,कौलेश्वरी देवी,कंचन देवी,चिंता देवी,मनवा देवी,अनीता देवी,सीमा देवी,गुड़िया देवी,गुड़िया कुमारी,नजमून खातून,मुनिया देवी सहित कई महिलाएं उपस्थित थी।
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