सीएसआईआर सीआईएमएफआर में कोयला व खनिज के विषयों पर एकदिवसीय सेमिनार का हुआ आयोजन
*सीएसआईआर में सस्टेनेबिलिटी इन कोल बेनिफिशिएशन चैलेंजेस एंड ऑपर्च्युनिटीज विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का किया गया आयोजन*
जोड़ापोखर । कोयला एवं खनिज प्रसंस्करण अनुसंधान समूह द्वारा सीएसआईआर केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान धनबाद के डिगवाडीह परिसर में सस्टेनेबिलिटी इन कोल बेनिफिशिएशन, चैलेंजेस एंड ऑपर्च्युनिटीज विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न कोयला खनन, प्रसंस्करण एवं उपयोग जैसे टाटा स्टील, बीसीसीएल, आईआईटी आईएसएम, एनटीपीसी आदि से विभिन्न विशेषज्ञों, प्रतिनिधियों एवं शोधकर्ताओं ने भाग लिया। कार्यशाला का उद्घाटन सत्र डिगवाडीह परिसर स्थित आदिनाथ लाहिड़ी हॉल में मुख्य अतिथि के बीसीसीएल के सीएमडी समीरन दत्ता तथा विशिष्ट अतिथि सीएसआईआर-सीआईएमएफआर के अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष प्रो. डी. डी. मिश्रा द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। तत्पश्चात संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुमार बनर्जी ने सभी का स्वागत किया।
मुख्य अतिथि डॉ. समीरन दत्ता ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में ग्लोबल वार्मिंग ने नीति निर्माताओं को ऊर्जा सुरक्षा का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए मजबूर किया है। धरती के शोषण की भरपाई करना हमारा कर्तव्य है। इसके लिए उन्होंने खदान बंद करने की उचित योजना के महत्व का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक सुरक्षा के लिए मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन पर निर्भर करता है, हालांकि पर्यावरण सुरक्षा का ध्यान रखने के लिए वैज्ञानिक हस्तक्षेप अनिवार्य है। उन्होंने बीसीसीएल वाशरियों के मुद्रीकरण की प्रस्तावित योजना का वर्णन किया, जहां कोयला उपभोक्ताओं को बीसीसीएल के बुनियादी ढांचे पर वाशरी बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और वे पूरे धुले हुए उत्पाद को ले जा सकेंगे। कार्यशाला आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. उदय शंकर चट्टोपाध्याय ने बीसीसीएल की कोयला वाशरियों के विकास में कोयला प्रसंस्करण के क्षेत्र में सीएसआईआर-सीआईएमएफआर के स्थापना से लेकर अब तक के सतत योगदान का उल्लेख किया। सीएसआईआर-सीआईएमएफआर के अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष प्रो. डी. डी. मिश्रा ने कहा कि भारत में बिजली की मांग बढ़ रही है और सभी पारंपरिक और गैर-पारंपरिक बिजली संयंत्रों को पूरी क्षमता से चलाने पर भी इस मांग को पूरा करना मुश्किल है। कोयला बिजली उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण जीवाश्म ईंधन के रूप में बना रहेगा। धन्यवाद ज्ञापन सचिव डॉ मनीष कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
उद्घाटन समारोह के पश्चात
तकनीकी सत्र में कोयला एवं खनिज प्रसंस्करण अनुसंधान समूह के संरक्षक डॉ उदय शंकर चट्टोपाध्याय, टाटा स्टील के अनुसंधान एवं विकास प्रमुख डॉ असीम कुमार मुखर्जी, आईआईटी (आईएसएम), धनबाद के ईंधन खनिज एवं धातुकर्म इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष डॉ श्रवण कुमार, अतनु महाता सहायक महाप्रबंधक, कोक ओवन ऑपरेशन, श्याम सेल एंड पावर लिमिटेड, डब्ल्यूबी, सीएमपीडीआई के उप प्रबंधक (सीपी) अविनाश सुमन, आरडीसीआईएस रांची के बी घोष, सीएचई-इंडस्ट्री ग्रुप पोलैंड के सीईओ टिमोफी चेर्नयेव आदि ने अपनी अपनी प्रस्तुति दी। समापन समारोह में मुख्य अतिथि तथा वक्ताओं को सीआईएमएफआर डिगवाडीह परिसर के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. आशीष मुखर्जी द्वारा सम्मानित किया गया। समापन भाषण बी. के. तिवारी निदेशक प्रभारी बीएसएल द्वारा किया गया। आयोजन समिति के संयोजक डॉ. के.एम.पी. सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया।

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