क़ानूनविद के साथ एक अच्छे इंसान भी थे असीम घटक-संजय सिन्हा

आसनसोल:’काल के क्रूर पंजे ने बेहतर अधिवक्ता के साथ-साथ एक नेक इंसान को भी हमलोगों से छीन लिया,जो बेहद दुर्भाग्यजनक है.राजनीति और गुट से ऊपर उठकर वह सबकी मदद को हमेशा तत्पर रहते थे.यही उनकी सबसे बड़ी खासियत थी.’ये कहना है प्रेस क्लब ऑफ़ आसनसोल मेगासिटी के संस्थापक सह महासचिव संजय सिन्हा का. संजय सिन्हा ने कहा कि,’मंत्री का अग्रज होने का ज़रा भी अहंकार नहीं था उनमें.हर किसी से प्यार और स्नेह के साथ मिलते थे असीम दा. आसनसोल शहर में अच्छे और मंजे हुए वकीलों की तो कत्तई कमी नहीं है,मगर एक नेक इंसान होना बहुत मुश्किल होता है.असीम घटक में यही तत्व विद्यमान था,लिहाज़ा उनका स्तर काफी ऊपर था.’
पत्रकारों से अच्छे संबंध थे
गौरतलब है कि स्थानीय मीडिया कर्मियों से भी उनका सम्बन्ध काफी अच्छा था.वह प्रेस क्लब ऑफ़ आसनसोल मेगासिटी के मुख्य कानूनी सलाहकार थे.प्रेस क्लब की हर छोटी-बड़ी गतिविधियों में वह उपस्थित रहते थे.संजय सिन्हा के मुताबिक,वह सिर्फ उपस्थित ही नहीं रहते थे,बल्कि सहयोग भी करते थे और गलती होने पर क्लब के सदस्यों को डांटते भी थे.कह सकते है कि वह एक अभिभावक की तरह थे.उनके जाने से प्रेस क्लब ने एक सच्चा अभिभावक खो दिया है.इसका मलाल सदैव रहेगा.ज्ञात हो कि पिछले कई वर्षों से वह प्रेस क्लब के साथ जुड़े हुए थे और सबके प्रति असीम स्नेह भी रखते थे.
जब संजय सिन्हा को असीम दा ने डांटा
संजय सिन्हा ने बताया कि एक बार उनसे एक छोटी सी भूल हो गई थी.उस भूल के लिए अधिवक्ता असीम घटक ने उन्हें अपने चैम्बर में बुलाया और जमकर डांट पिलाई.डांट सुनने के बाद उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ.संजय कहते हैं.’उनकी डांट में भी एक अपनापन था.वह जितना डांटते थे मुझे,उससे ज़्यादा स्नेह भी करते थे.मैं उनके असीम स्नेह का क़र्ज़ नहीं चुका पाऊंगा.’
गौरतलब है कि मंगलवार को असीम घटक तर्पण के लिए बर्नपुर स्थित दामोदर नदी के तट पर गए थे.इसी दौरान डूबने से उनकी इहलीला समाप्त हो गई.वह पश्चिम बंगाल के श्रम व कानून मंत्री मलय घटक के अग्रज थे.

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