अपहरणकर्ताओं के लिए काल बनकर पहुँचा था अरुणाभ भट्टाचार्य, हो जाता एनकाउंटर?
सालानपुर। मंगलवार को हुए अपहरणकांड अपराधियों के लिए अमंगल रहा, हालांकि भारी अमंगल होते होते रह गई, अपराधियों ने पुलिस को खुली चुनौती दे डाली थी, आसनसोल दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट की तत्पर सायबर टीम और रूपनारायणपुर फाड़ी प्रभारी अरुणाभ भट्टाचार्य की त्वरित कार्यवाही ने अपराधियों के छक्के छुड़ा दिए, इस अभियान में जामुड़िया थाना प्रभारी सोमेंद्रनाथ सिंह ठाकुर की भूमिका भी सराहनीय रही, दोनों ने जुगलबंदी के साथ अपराधियों से लोहा लेने के लिए अपनी अपनी टीम के साथ घेराबंदी सुरु कर दिया था, चुकी अपराधी सालानपुर थाना, बाराबनी और जामुड़िया थाना क्षेत्र की सीमा में गश्त कर पुलिस को खुली चुनौती दे रहे थे।
हालांकि अपराधियों के पास कौन सी हथियार थी अभी इसका खुलासा नही हुआ है। जामुड़िया थाना अंतर्गत चुरुलिया फाड़ी क्षेत्र के बिरकुल्टी शमसान घाट नदी किनारें अपराधी अपहृत के साथ आराम फरमा रहे थे, साथ ही इस स्थान से ही समसुल अंसारी के पुत्र को फोन कर बार बार फिरौती की मांग एवं तोलमोल की जा रही थी। बताया जाता है कि इस दौरान अपहृत का पुत्र पुलिस के साथ जीप पर मौजूद थे, जनके मोबाइल के सहारे ही पुलिस अंधी गलियों में खाख छान रही थी, फिरौती मांगने के बाद अपराधी बार बार अपनी मोबाइल फोन को स्विच ऑफ कर रहा था, जिससे लोकेशन ट्रेस नही पा रही थी।
हालांकि इस उम्मीद पर भी उस वक्त पानी फिर गया जब अपहृत के पुत्र का तबियत अचानक खराब होने लगी, पुलिस को बाध्य होकर उन्हें गाड़ी से रास्ते में ही उतारना पड़ा, यहाँ से पुलिस के लिए अब पूरा प्रकरण टेढ़ी खीर हो गई, कहा जाता है कि इस दौरान सायबर टीम सभी मोबाइल फोन को ट्रैक कर निरंतर और निर्बाध पुलिस टीम को सूचना भेज रहे थे।
शमशान घाट पर भूखे प्यासे अपहरणकर्ता मुढ़ी और आलू चोप खा रहे थे, दया की पराकाष्ठा हुई तो अपहृत समसुल को भी खिलाया गया। इसी दौरान चारों दिशाओं से पुलिस ने घेराबंदी कर दिया, पुलिस को देख अपराधी हताश होकर भागने लगे पुलिस ने पीछा किया, सूत्र बताते हैं की पुलिस पीछे और अपराधी आगे दौड़ रहे थे, पुलिस ने कहा रुक जाओ नही तो शूट कर देंगे, अपराधी इतने शातिर थे की इस आवाज़ को उन्होंने यमराज की पुकार सुनकर सीना आगे कर दिया और सहजता से आत्मसमर्पण कर दिया।
इस स्थान पर पुलिस की सूझबूझ और सक्रियता के कारण अपराधी कुशल पुलिस के हत्थे चढ़ गए, अन्यथा निश्चित ही एनकाउंटर हो जाता? कुछ लोग उत्तर प्रदेश पुलिस की तर्ज पर एनकाउंटर प्रथा की तारीफ करते नज़र आ रहे थे। हालांकि दोनों ही तर्क को आप स्वयं ही अपनी विवेक से चुनाव कर सकते है, एनकाउंटर या गिरफ्तारी?

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