सीमा सचिन पर यह विश्लेषण आपके दिमाग के बंद ताले खोल देगा
सीमा गुलाम हैदर जो कि उसका पूर्व नाम है और अभी वो सीमा सचिन या सीमा ठाकुर कहलाना पसंद करती है। जिस दिन से वो पकड़ी गयी मैं उसकी हर खबर पर नजर बनाए हुये हूँ। और अपने अनुभवों के आधार पर अपना विश्लेषण रखता हूँ। सीमा कौन है। इंडिया कैसे पहुंची इस पर चर्चा नहीं करूंगा क्योंकि पूरे देश में इस पर चर्चा चल रही है और नया कुछ बताने के लिए अब है नहीं ।
अब सवाल बस दो ही बने हुये हैं । क्या सीमा अपने प्यार के लिए सब कुछ छोड़ कर आई है या फिर वो यहाँ जासूसी करने आई हैं। मेरा विश्लेषण केवल इन्ही दो मुद्दों पर केन्द्रित है । देश के कई मीडिया संस्थान बे सिर पैर की बात करके केवल अपना टीआरपी बटोर रहे हैं । मैं कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर अलग अलग करके तर्कों के आधार पर इसका विश्लेषण करूंगा ।
जो लोग सीमा को जासूस बता रहे हैं वो अपने देश के जांच एजेंसी को बहुत हल्के में ले रहे हैं। जिस देश में अजित डोवाल जैसे जासूस हों उस देश सीमा जैसी को जासूस बताना देश की जांच एजेंसियों का अपमान है और ये कहना बेवकूफी है कि जांच एजेंसी को इसकी भनक नहीं लगी।
देश की आबादी करीब डेढ़ सौ करोड़ है और जांच एजेंसी इन डेढ़ सौ करोड़ पर नजर नहीं रखती है । वो देश की सीमा , महत्वपूर्ण व्यक्ति , संस्थान और प्रतिष्ठानों पर नजर रखती है । जो लोग जांच एजेंसियों को कोस रहे हैं कि कैसे बिना वीजा के वो नेपाल से भारत आ गयी । जांच एजेंसियां कहाँ थी तो भाई उसी नेपाल से बीते 9 साल में आज तक कोई आतंकी नहीं आ पाया । देश में इन 9 वर्षो में कोई बम हमला नहीं हुआ। जो आतंकी कश्मीर के बॉर्डर पर डेरा डाले हैं वो भी तो नेपाल के रास्ते आ सकते थे। क्या आपको लगता है कि उन्हें इस रूट की जानकारी नहीं होगी ?
अब आते हैं दूसरे बिन्दु पर । जो जासूसी करने आते हैं वो अपने बच्चों को लेकर कभी नहीं आते । बच्चों को लेकर वे घुसपैठिए आते हैं जो यहाँ बसना चाहते हैं । हमारे देश में हर रोज सैकड़ों की तादाद में घुसपैठिए बांग्लादेश , त्रिपुरा, आसाम के रास्ते आते हैं जिनकी आपको भनक तक नहीं लगती है । हजारों रोहींगीया भारत में कहाँ कहाँ रह हरे होंगे आपको इसकी जानकारी भी नहीं होगी । वे सब पूरी तैयारी के साथ आते हैं। उनको मदद करने के लिए देश में लोग पहले से भी बैठे हुये हैं । उनका असली आधार कार्ड और असली वोटर कार्ड , राशन कार्ड तुरंत बन जाता है । इसलिए लोकल पुलिस भी उस पर हाथ नहीं डाल पाती है सब कुछ जानने के बाद भी। क्या आपको लगता है कि यदि सीमा हैदर जासूस होती तो उसके लिए यहाँ का आधार कार्ड और वोटर कार्ड बनवा लेना मुश्किल काम था ?
जो जासूस होते हैं वो इंडिया के वकील के पास नहीं जाते हैं शादी करने के लिए । इतनी मामूली सी बुद्धि तो दिमाग में है नहीं और बात कर रहे हैं देश के सुरक्षा एजेंसियों की लापरवाही पर।
जो जासूस होते हैं वे अपना सभी असली कागजात लेकर नहीं आते हैं । उनके पासपोर्ट भी फर्जी होते हैं और नाम , पते भी गलत होते हैं । सीमा अपना, अपने पूर्व पति , बच्चों , पिता सभी के कागजात लेकर आयी उसे शायद ये लगा होगा कि इंडिया में नए कागजात बनाने के लिए इसकी जरूरत पड़ेगी ।
कागजातों के उम्र में अंतर होना कोई बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है । अपने देश में लाखों की संख्या में ऐसे लोग हैं जिनके वोटर कार्ड में उम्र कुछ और है, आधार कार्ड में कुछ और , स्कूल सर्टिफिकेट में कुछ और।
इतनी मामूली सी बात देश के बकवासी न्यूज़ एंकरों के लिए बड़ी बात हो सकती है लेकिन जांच एजेंसियां ये सब समझती है और शायद इसीलिए उसे जमानत आसानी से मिल गयी । उसके खिलाफ केवल अवैध घुसपैठ का मामला बनता है जो बहुत गंभीर विषय नहीं है और जांच एजेंसिया इसे गंभीरता से नहीं लेती है। ये सरकार का काम है कि अवैध घुसपैठिए को देश में आने से रोके । देश में शरण दे या उसे बाहर कर दे ।
सरकार काम करती है जनभावना के अनुसार और फिलहाल जनभावना सीमा के साथ है ।
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